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झारखंड में पहली बार छात्रों को मिलेगी बैचलर ऑफ फिशरीज साइंस की डिग्री

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झारखंड में पहली बार छात्रों को मिलेगी बैचलर ऑफ फिशरीज साइंस की डिग्री

झारखंड में पहली बार छात्रों को बैचलर ऑफ फिशरीज साइंस की डिग्री मिलेगी। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के अधीन संचालित कॉलेज ऑफ फिशरीज साइंस, गुमला के पहले बैच वर्ष (2017-21) के 25 छात्र-छात्राएं जून में चार वर्षो का पाठ्यक्रम पूरा करने जा रहे हैं। इन छात्र-छात्राओं का सत्र 16 जून को पूरा होने जा रहा है। इनके अंतिम वर्ष के 8वें सेमेस्टर में स्टूडेंट्स रेडी प्रोग्राम और प्रोजेक्ट वर्क कार्यक्रम सम्मि‍लित थे। उसकी अंतिम परीक्षा 2 जून से 7 जून तक ऑनलाइन माध्यम से हुई।

कॉलेज के एसोसिएट डीन डॉ एके सिंह ने बताया कि रेडी प्रोग्राम में सभी छात्रों को समूहों में बांटा गया था। विभिन्न समूहों के छात्रों ने विभिन्न गतिविधियों के रेडी एवं प्रोजेक्ट वर्क प्रोग्राम के अध्ययन को ऑनलाइन वर्चुअल माध्यम से एसोसिएट डीन की उपस्थिति में सभी विभागों के सहायक प्राध्यापकों के समक्ष प्रस्तुतिकरण दी। कोविड -19 की वजह से छात्रों ने सामाजिक दूरी और नियमों का पालन करते हुए गतिविधियों को पूरा किया।

कॉलेज के 25 छात्र-छात्राओं ने 5 समूहों में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत किया। रेडी प्रोग्राम में पहले समूह ने झारखंड में मत्स्य उपभोग के सर्वेक्षण, दूसरे समूह ने मत्स्य विभाग द्वारा दिए गये प्रशिक्षण का किसानों पर प्रभाव, तीसरे समूह ने मत्स्यिकी सबंधित सरकारी योजनाओं का अध्ययन, चौथे समूह ने विभिन्न मत्स्य प्रजातियों के उत्प्रेरित प्रजनन का तुलनात्मक अध्ययन एवं पांचवे समूह ने रांची झील में नागरमल मोदी सेवा सदन अस्पताल द्वारा उत्सर्जित पदार्थो का रिपोर्ट की ऑनलाइन प्रस्तुत की।

रेडी प्रोग्राम के अलावा छात्र-छात्राओं ने इन प्लांट अटैचमेंट प्रोग्राम के तहत एग्रोटेक किसान मेला-2021 में बिक्री किये गये मूल्यवर्धित मत्स्य उत्पादों, झारखंड के विभिन्न जिलों में मत्स्यपालन की स्थिति, मोरहाबादी स्थित रामकृष्ण मिशन आश्रम, बोरिया स्थित डे फार्म, ओरमांझी स्थित सजावटी मछलियों के एक्वेरियम, चांडिल बांध में केज एवं पेन कल्चर, फिश फीड मील एवं सहकारी समिति के भ्रमण कार्यक्रमों एवं रांची के आधुनिक थोक मछली मार्केट के लेआउट एवं प्रबंधन से सबंधित अध्ययन को विस्तार से प्रस्तुत किया।

मौके पर सभी छात्रों को 10 जून तक स्टूडेंट्स रेडी प्रोग्राम की रिपोर्ट को कॉलेज में जमा करने का निर्देश दिया, ताकि मूल्यांकन करके ससमय 16 जून तक अंतिम परीक्षाफल विवि में जमा कराया जा सके। छात्रों का मार्गदर्शन एवं उनके गतिविधियों का मूल्यांकन शिक्षकों में डॉ इरशाद अहमद, डॉ हरिओम वर्मा, डॉ जगपाल, डॉ वीरेंद्र सिंह, डॉ श्वेता कुमारी, डॉ ज्ञानदीप गुप्ता, डॉ गुलशन कुमार, डॉ टसोकलिया, डॉ ओमप्रकाश रवि, डॉ केएस विजडम, डॉ जय राजपी, एवं डॉ प्रशांत जेना ने किया।

कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने कहा कि राज्य में एक साथ पहली बार 25 छात्र-छात्राएं मत्स्यिकी विज्ञान में स्नातकधारी होने जा रहे है। यह राज्य एवं विवि के लिए बड़े गौरव की बात है। ससमय परीक्षाफल प्रकाशन से राष्ट्रीय स्तर पर छात्रों को आईसीएआर-जेआरएफ परीक्षा और उच्चतर अध्ययन में शामिल होने एवं नियोजन में अवसर का लाभ मिलेगा।

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