बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में पर्यावरण की सुरक्षा एवं जैव विविधता संरक्षण के लिए वृहद् पौधरोपण सप्ताह चलाया जा रहा है। कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह की इच्छा एवं निर्देश पर शनिवार को वानिकी संकाय परिसर में महुआ पौधा पौधरोपण कार्यक्रम चलाया गया।
कुलपति ने महुआ पौधा का रोपण कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कहा कि महुआ के फल और फूल दोनों में औषधीय गुण समाहित है। खाने में स्वादिष्ट एवं सुगंधित इसकी लकड़ियों का इस्तेमाल इमारतों को बनाने में भी किया जाता है। डायबिटीज रोगियों के लिए किसी अमृत से कम नहीं। महुआ की छाल का काढ़ा पीने से डायबिटीज नियंत्रित रहती है। जोड़ों के दर्द में महुआ का लेप, सिर दर्द में महुआ के तेल से मालिश एवं शरीर के सूजन महुआ का लेप कारगर दवा का काम करती है। बहुउपयोगी महत्ता को देखते हुए प्रदेश में महुआ वृक्ष के वृक्षारोपण को प्राथमिकता देने की जरूरत है।
डीन फॉरेस्ट्री डॉ एमएच सिद्दीकी ने कहा कि झारखंड की भूमि महुआ पौधे के वृक्षारोपण के लिए काफी उपयुक्त है। इसे बढ़ावा देने से पर्यावरण संतुलन के साथ रोजगार के अवसर का भी सृजन हो सकेगा।
डीन फॉरेस्ट्री के नेतृत्व में डॉ जगरनाथ उरांव, डॉ एमएस मल्लिक, डॉ शैलेश चट्टोपाध्याय, डॉ आरबी साह एवं डॉ जय कुमार, डॉ नरेंद्र प्रसाद सहित अनेकों शिक्षक एवं कर्मचारियों के दल द्वारा वानिकी संकाय परिसर में महुआ पौधे रोपण किया गया। कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय सेवा योजना, वानिकी इकाई के तहत किया गया।
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