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बिरसा कृषि विश्‍वविद्यालय ने फसल प्रजाति सुधार पर ध्यान किया केंद्रित

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बिरसा कृषि विश्‍वविद्यालय ने फसल प्रजाति सुधार पर ध्यान किया केंद्रित

देश के जाने-माने पौधा प्रजनक और बीएयू कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह के मार्गदर्शन में प्रदेश के उपयुक्त फसल प्रजाति के विकास पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। हाल ही में विवि के आठ फसलों के 11 नई किस्मों को स्टेट वेराइटल रिलीज कमेटी की स्वीकृति मिली है। कुलपति के निर्देश पर विवि के आनुवांशिकी व पौधा प्रजनन विभाग के वैज्ञानिकों के दल ने गुरुवार को कांके चौक समीप वेस्टर्न सेक्शन फार्म का भ्रमण किया। सभी वैज्ञानिकों ने फार्म में लगी खरीफ फसलों (धान, मक्का, उरद, मूंग, सोयाबीन, मड़ुआ, अरहर, मूंगफली, गुन्दली, ज्वार, बाजरा एवं क्षमतावान फसलों) के प्रायोगिक फार्म का निरीक्षण कर विमर्श किया। फसल प्रजाति सुधार के बारे में अपने महत्वपूर्ण सुझाव दिये।

वैज्ञानिकों ने पाया कि आईसीएआर-मुलार्प परियोजना के तहत अगेती मूंग की फसल कटनी करने योग्य है। इस फसल के प्रायोगिक फार्म में मूंग किस्मों के बहुतायत एकसमान जीनोटाईप पाए गए, जो प्रदेश में दलहनी फसल के लिए बड़ी उपलब्धि है। फार्म में सोयाबीन एवं मक्का फसलों में फुल आने लगे। दोनों फसलों की स्थिति बेहतर पाया गया। साथ ही वैज्ञानिकों ने सोयाबीन के प्रजनक बीज उत्पादन प्रायोगिक फार्म को देखा। आईसीएआर-सोयाबीन परियोजना के तहत फार्म में सोयाबीन की दो किस्मों बिरसा सोयाबीन-1 और बिरसा सफेद -2 की स्थिति अच्छी पाई गयी।

वैज्ञानिकों ने फार्म में धान फसल की एरोबिक राईस, सीधी बुआई एवं रोपाई और अपलैंड राइस से सबंधित फार्म में अल्प, मध्यम एवं दीर्घ अवधि वाली धान किस्मों का अध्ययन किया। परियोजना प्रभारी को आवश्यक परामर्श दिये।

क्षमतावान फसलों के मामले में झारखंड की जलवायु के उपयुक्त फसल परीक्षण शोध कार्यक्रमों को वैज्ञानिकों ने देखा। इसके अधीन पंखिया सेम, तूत मलंगा, राजमूंग एवं अड़जूकी फसलों का प्रदर्शन बढ़िया पाया गया।

मौके पर विभाग के अध्यक्ष डॉ सोहन राम ने सभी वैज्ञानिकों को प्रजनक बीज उत्पादन एवं फसल प्रजाति के विकास में सतत प्रयत्न करने और सजग रहने को कहा। बताया कि फार्म में सोयाबीन, तिल एवं अरहर के विभिन्न किस्मों के प्रजनक बीज का उत्पादन किया जा रहा है। निरीक्षण दल में डॉ मणिगोपा चक्रवर्ती, डॉ कृष्णा प्रसाद, डॉ नीरज कुमार, डॉ सूर्य प्रकाश, डॉ अरुण कुमार, डॉ नूतन वर्मा, डॉ शशि किरण तिर्की, डॉ जय लाल महतो, डॉ सुप्रिया सूरीन, डॉ योगेन्द्र प्रसाद एवं डॉ वर्षा रानी, पीएचडी के छात्र एवं फील्ड ओवरसियर भी मौजूद थे।

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