आज से तीन दिनों वेटनरी काउंसील आफ इंडिया(वीसीआई) के सदस्य रांची वेटनरी कालेज का एक्रिडेशन के लिए निरिक्षण करेंगे। इस टीम में हैदराबाद से डा श्रीनिवास रेड्डी, कोलकाता से डा टीके मंडल और आसम से डा निरंजन कलिता इस टीम में शामिल हैं। टीम अंडर ग्रेजुएट कोर्स के मान्यता के लिए मुलांकन करेंगी। इसके तहत कालेज में शिक्षकों की संख्या, छात्रों के लिए कालेज में व्यवस्था, कालेज लैब, कालेज अस्पताल और ओपीडी, क्लास रूम की व्यवस्था, वित्त, मैनेजमेंट आदि पहलुओं को शामिल किया जाएगा।
कालेज में मौजूद हैं जरूरी संसाधन
डीन वेटनरी सुशील प्रसाद ने बताया कि कालेज में अंडर ग्रेजुएट कोर्स के लिए कालेज के पास सभी जरूरी संसाधन मौजूद है। कालेज में 50 शिक्षकों के स्वीकृत पोस्ट हैं। इसमें 20 पर स्थाई और 30 पर अस्थाई शिक्षक नियुक्त हैं। उन्होंने कहा कि आदिवासी बहुल झारखंड राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों के आजीविका एवं पोषण सुरक्षा बहुत हद तक पशुपालन पर निर्भर है। राज्य में वर्षाश्रित खेती पर निर्भरता एवं सीमित सिंचाई साधन की वजह से ग्रामीणों की जीविका साधन का पशुपालन सदियों से प्रमुख आधार रहा है। रांची वेटनरी कालेज वर्ष 1961 से प्रदेश में पशुपालन एवं पशुचिकित्सा को बढ़ावा देने में अग्रणी भूमिका रही है।
उन्नत पशु नस्लों का विकास
पशु नस्लों के विकास में महाविद्यालय का बेहतरीन प्रदर्शन रहा है। यहां के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई सुकर संकर नस्ल ‘झारसुक’ एवं पोल्ट्री संकर नस्ल ‘झारसीम’ झारखंड सहित सीमावर्ती राज्यों में काफी प्रचलित हो चला है। वैज्ञानिकों द्वारा सुकर की देशी प्रजाति पूर्णिया की खोज से भी सूकर पालन को बढ़ावा मिला। महाविद्यालय द्वारा राज्य के 3 केंद्रों में बकरी नस्ल ‘ब्लैक बंगाल’ के प्रजनन को बढ़ावा दिया जा रहा है।
दो नए कालेज संकाय से जुड़े
पशु चिकित्सा संकाय में वर्ष 2017-18 से डेयरी टेक्नोलाजी एवं फिशरीज साइंस पर दो कॉलेज जुड़े। इन दोनो कालेज द्वारा पहली बार छात्रों को इस वर्ष अंडरग्रेजुएट डिग्री प्रदान की गयी। डेयरी टेक्नोलाजी में 17 एवं फिशरीज साइंस में 20 छात्र – छात्राओं ने डिग्री लेने में सफलता पाई। फिशरीज साइंस के दो छात्रों ने उच्च शिक्षा हेतु सफलता दर्ज की। डेयरी टेक्नोलॉजी के 8 छात्रों को प्लेसमेंट मिला और 3 छात्रों ने राष्ट्रीय स्तर पर उच्च शिक्षा हेतु पात्रता हासिल की है।
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