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बटन मशरूम की खेती में दोहरा लाभ: डीन एग्रीकल्चर

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बटन मशरूम की खेती में दोहरा लाभ : डीन एग्रीकल्चर

बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि संकाय स्थित मशरूम उत्पादन इकाई द्वारा गुरुवार से बटन मशरूम की उत्पादन प्रौद्योगिकी विषयक व्यावहारिक प्रशिक्षण का प्रारंभ हुआ। इसका उद्घघाटन डीन एग्रीकल्चर डॉ एमएस यादव ने किया। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षाणार्थी बटन मशरूम की खेती में दोहरा लाभ कमा सकते है। प्रदेश में मशरूम की खेती तेजी से लोकप्रिय हो रही है। मशरूम उत्पादन में मशरूम कम्पोस्ट निर्माण एक महत्वपूर्ण अंग है। इस निर्मित मशरूम कम्पोस्ट की शहरों में मांग है। प्रशिक्षाणार्थी कम्पोस्ट का व्यवसाय अपनाकर बढ़िया आय प्राप्त कर सकते है। साथ ही, बटन मशरूम का उत्पादन से आय प्राप्त कर सकते है।

मशरूम उत्पादन इकाई प्रभारी डॉ नरेंद्र कुदादा ने बताया कि झारखंड में बटन मशरूम की खेती के लिए सितंबर से मार्च तक का समय उपयुक्त माना जाता है। इस दौरान बटन मशरूम की दो फसलें ली जा सकती है। इसकी खेती की प्रक्रिया जटिल है। इसमें तकनीकी कौशल का विशेष महत्‍व है। इस कम्पोस्ट का निर्माण 28 से 30 दिनों में की जा सकती है। इसे बाजार में बेचा जा सकता है। इस कम्पोस्ट में स्पॉन की बिजाई कर मशरूम फसल को उगाकर लाभ लिया जा सकता है। बटन मशरूम की सफल खेती के लिए अगले बैच में प्रशिक्षण के लिए इच्छुक लोग अग्रिम पंजीयन कराकर भाग ले सकते हैं।

बटन मशरूम के पहले प्रशिक्षण में रांची, रामगढ़, हजारीबाग, गुमला एवं लातेहार जिले के अलावा समस्तीपुर, बिहार के 25 प्रशिक्षाणार्थी भाग ले रहे है। उन्हें पौधा रोग विभाग के वैज्ञानिक डॉ एचसी लाल एवं डॉ एमके बर्नवाल द्वारा बटन मशरूम कम्पोस्ट निर्माण प्रक्रिया की व्यावहारिक जानकारी दी जा रही है। प्रशिक्षण का संचालन मुनी प्रसाद ने किया।

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