देश में जलवायु परिवर्तन और कुपोषण की समस्याओं से निबटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 सितंबर को विशेष गुणों से युक्त 35 उन्नत फसल प्रभेदों जारी किये। इसमें धान की एक किस्म बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने विकसित की है।
एरोबिक राइस इकोलॉजी के लिए उपयुक्त सीआर धान-201 नाम से जाना जानेवाला यह प्रभेद डॉ सिंह ने तब विकसित किया था, जब वे आईसीएआर के राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक में फसल सुधार प्रभाग के प्रधान वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष थे। भारत सरकार के कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय के सेंट्रल वेराइटी रिलीज कमेटी द्वारा वर्ष 2014 में जारी चावल की यह किस्म सूखारोधी है। छत्तीसगढ़ एवं बिहार के लिए विशेष रूप से जारी की गयी है। यह किस्म झारखंड सहित पानी की कमी वाले किसी भी क्षेत्र के लिए लाभप्रद है।
बीएयू कुलपति डॉ सिंह ने बताया कि लगभग 10 वर्षों के अनुसंधान, प्रयोग, परीक्षण एवं डेटा संग्रह के बाद विकसित यह प्रभेद धान के सभी प्रमुख रोगों एवं कीड़ों के प्रति प्रतिरोधी या सहिष्णु है। इसकी उपज क्षमता 5 से 6 टन प्रति हेक्टेयर है। एक किलो धान उगाने के लिए सामान्यतः 3000 से 5000 लीटर पानी की आवश्यकता होती है। हालांकि सीआर धान-201 में पानी की केवल आधी मात्रा की जरूरत होती है। झारखंड की वर्षाश्रित कृषि परिस्थितियों के लिए भी यह प्रभेद काफी उपयुक्त एवं उच्च उत्पादन देने वाला है।
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