खास हो या आम… सरसों तेल की कीमतों में वृद्धि ने हर किसी के किचन का बजट बढ़ाया है. ऐसा गाहबगाहे होता ही रहता है. मगर, कुछ वक्त बाद इस झंझट से मुक्ति मिलने के पूरे आसार हैं. बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (बीएयू) के वैज्ञानिकों ने लंबे रिसर्च के बाद सरसों की एक नई ब्रीड तैयार की है. इसका पैदावार प्रति हेक्टेयर 20 क्विंटल से अधिक होगा. इससे भी बड़ी बात यह है कि दो किलो सरसों से एक लीटर तक तेल निकलेगा. जाहिर है ऐसा होने के बाद बाजार में सरसों तेल की कीमतों में भारी गिरावट तय है. यहां यह भी उल्लेखनीय है बीएयू के इस रिसर्च में भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर (बार्क) भी सहभागी है. सरसों की इस नई ब्रीड को बिरसा-भाभा मस्टर्ड-1 नाम दिया गया है.
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि झारखंड में फिलहाल 12-15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर सरसों का पैदावार हो रहा है और साढ़े तीन से चार किलो सरसों में एक लीटर तेल निकलता है. जाहिर है नई ब्रीड के सरसों का बड़े पैमाने पर खेती के बाद कीमतों में आधे से अधिक की कमी की उम्मीद की जा सकती है.
झारखंड में मिले बेहतर परिणाम
सरसों की ब्रीड के लिए बीएयू का प्लांट ब्रीडिंग डिपार्टमेंट सालों से काम कर रहा था. वहां के जूनियर और सीनियर साइंटिस्ट लगातार प्रयोग कर रहे थे. इसमें कुछ सफलता भी मिली, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. इसके बाद बार्क, मुंबई से संपर्क कर वहां से कुछ मैटेरियल मंगाए गए. जिसके बाद सरसों की नई ब्रीड तैयार की गई. इसका प्रयोग बीएयू कैंपस में किया गया. जहां अच्छे रिजल्ट देखने के बाद रांची के आसपास और अन्य जिलों में ये किसानों को दिए गए. वहां भी इसके बेहतर परिणाम देखने को मिले हैं.
कम माइश्चर में भी रोपाई
बिरसा भाभा मास्टर्ड 1 को इस तकनीक से तैयार किया गया है जिससे कि इसे कम मॉइश्चर वाली जगहों पर भी रोपा जा सकता है. यूं कहे तो जहां कम पानी वाला क्षेत्र है वहां भी बड़े खेतों में रोपाई कर अधिक पैदावार की जा सकती है. वहीं इसके लिए समय का भी ध्यान रखना होगा जिससे कि कम समय में अच्छी उपज हो सके.
अगले साल आएगा मार्केट में
बीएयू द्वारा तैयार की गई सरसों की इस ब्रीड के बीज तैयार करने के लिए किसानों को सैंपल दिए गए हैं. वहीं डायरेक्टर सीड फार्म की एजेंसी को भी प्रोडक्शन के लिए आर्डर दे दिया गया है. इसके अलावा कई अन्य सीड प्रोडक्शन कंपनियों को भी बीज तैयार करने के लिए सैंपल बीएयू से अधिकारियों ने भेज दिया है. अगले साल अप्रैल के बाद से यह बीज किसानों के लिए मार्केट में अवेलेवल होगा.
बीएयू के प्लांट ब्रीडिंग डिपार्टमेंट के एचओडी सोहन राम ने कहा कि किसी भी रिसर्च में 8-10 साल का समय लगता है. लंबे समय बाद नई ब्रीड आई है जो क्रांति लाएगी. इसके लिए साइंटिस्ट डॉ अरुण कुमार के साथ हमारी टीम लगी हुई थी. अब इस पर सफलता हासिल हुई है. झारखंड में इसके बेहतर परिणाम देखने को मिले है। जिसका फायदा किसानों को भी मिलेगा.
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