भगवान बिरसा मुंडा के नाम से स्थापित राज्य के एकमात्र कृषि विश्वविद्यालय में 146वीं बिरसा जयंती 15 नवंबर को मनाई गई। छात्र-छात्राओं का विवि परिसर में बिरसा मुंडा के उलगुलान पर आधारित सांस्कृतिक शोभा यात्रा आकर्षण का केंद्र रहा। परिसर स्थित बिरसा मुंडा की आदमकद प्रतिमा पर कुलपति, वरीय पदाधिकारी, वैज्ञानिक, कर्मचारी, छात्र एवं बिरसा किसानों ने पुष्प अर्पित कर श्रद्धा सुमन अर्पित किये।
विवि के आरएसी सभागार में मुख्य समारोह आयोजित किया गया। छात्राओं के समूह ने जोहार सलाम आप सबको गीत से सबों का स्वागत किया। लोटा पानी से अतिथियों को पवित्र एवं पुष्पगुच्छ भेंट की। मौके पर 7वें सेमेस्टर की छात्राओं ने ‘बिरसा भगवान लागे झारखंड शान’ गीत और मुझे झारखंड कर गांव शहर रे, सगरों लागे सुंदर रे लोकगीत पर नृत्य से दर्शकों को मंत्र मुग्ध किया। विवि के कर्मचारियों ने भी लोकगीत गया।
हॉर्टिकल्चर कॉलेज की छात्रा विशालाक्षी और एग्रीकल्चर कॉलेज के छात्र नीरज कुमार ने विशेष व्याख्यान में बिरसा मुंडा की 25 वर्षो की जीवनी पर प्रकाश डाला। समारोह का उद्घाटन मुख्य अतिथि कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने किया। उन्होंने राज्य के 39 बिरसा किसानों को विभिन्न उत्कृष्ट कार्यों के लिए प्रशस्ति पत्र देकर एवं शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया। विवि द्वारा विकसित 8 फसलों की 10 उन्नत किस्मों को राज्य के किसानों को समर्पित करने की घोषणा की। कुलपति ने विशेष व्याख्यान एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम में बेहतर प्रदर्शन करने वाले छात्रों को प्रशस्ति पत्र देकर पुरस्कृत किया।
किसानों की दशा व दिशा में सुधार ही श्रद्धांजलि
कुलपति ने कहा कि प्रदेश के किसानों की दशा एवं दिशा में सुधार ही विवि का झारखंड के महानायक भगवान बिरसा मुंडा को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। जीवन में अनुशासन एवं उत्पादन को विशेष महत्व देने की आवश्यकता है। सीमित संसाधनों के होते हुए विवि के छात्रों ने शैक्षणिक क्षेत्र में और वैज्ञानिकों ने शैक्षणिक, शोध एवं प्रसार के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान स्थापित की है। उन्होंने राज्य में कृषि शिक्षा के विस्तार पर बल देते हुए सभी केवीके वैज्ञानिकों को सूदूर ग्रामीण इलाकों तक कृषि शिक्षा के महत्व को प्रतिबिंबित करने को कहा।
पोषण सुरक्षा की दिशा में प्रयास करें
निदेशक अनुसंधान डॉ अब्दुल वदूद ने बिरसा मुंडा के 25 वर्षों के योगदान को स्मरणीय, बेमिसाल एवं अनुकरनीय बताया। सरसों की नई उन्नत किस्म की चर्चा की। वैज्ञानिकों को निरंतर उत्कृष्ट शोध कार्य एवं खाद्यान्न व पोषण सुरक्षा की दिशा में प्रयासों की आवश्यकता जताई। डीन एग्रीकल्चर डॉ एसके पाल ने कहा कि बिरसा मुंडा ने हमें स्वाभिमान एवं स्वयं पर विश्वास करना सिखाया। कृषि क्षेत्र की दशा एवं दिशा में बिरसा मुंडा की सोच एवं विचार पर प्रकाश डाला। रजिस्ट्रार डॉ नरेंद्र कुदादा ने बिरसा के सपनों को साकार करने के लिए सूदूर गांवों में बेहतर शिक्षा सुविधा एवं पंचायत स्तर पर पुस्तकालय स्थापना की जरूरत बताई।
किसान ने अपने विचारों को रखा
देवघर के किसान राजेन्द्र यादव ने सुख चाहो तो खेती और दुख चाहो तो झगड़ा से अपने विचारों को रखा। आधुनिक कृषि एवं परंपरागत खेती के समावेश को अपनाने की बात कही। स्वागत निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ जगरनाथ उरांव ने किया। कार्यक्रम का संचालन बिरसा हरियाली रेडियो की समन्यवयक शशि सिंह और धन्यवाद कार्यक्रम संयोजक डॉ निभा बाड़ा ने दिया। मौके पर डॉ सुशील प्रसाद, डॉ एमके गुप्ता, डॉ डीके शाही, डॉ पीके सिंह, डॉ एमएस मल्लिक, डॉ बीके अग्रवाल, डॉ सोहन राम सहित विभिन्न केवीके के प्रधान, वैज्ञानिक, प्राध्यापक और भारी संख्या में बिरसा किसान एवं छात्र-छात्राएं मौजूद थे।
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