भारतीय कृषि जैव प्रौद्योगिकी संस्थान एवं बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के सहयोग चल रहा पांच दिवसीय सूकर पालन प्रशिक्षण कार्यक्रम का 28 नवंबर को खत्म हुआ। इसमें 46 किसानों ने भाग लिया, जिसमें 24 किसान महिला थीं। सभी महिला किसान नगड़ी के चिपरा गांव से थी। अन्य किसान रामगढ़, गिरिडीह, हजारीबाग, पलामू आदि जिलों से थे।
प्रशिक्षण में वैज्ञानिक तरीकों से सूकर पालन करने की विधि किसानों को बताई गई। साथ ही, प्रायोगिक प्रशिक्षण भी दिया गया। समापन में रांची वेटनरी कॉलेज के अधिष्ठाता डॉ सुशील प्रसाद ने जल्द से जल्द सूकर पालन शुरू करके लाभ कमाने की बात कही। वैज्ञानिक तरीके से सूकर पालन करने के लाभ भी बताएं।
ट्रेनिंग इंचार्ज डॉ आलोक कुमार पांडे ने किसानों को झारखंड की योजना से जुड़ने की सलाह दी। झारखंड की सभी योजनाओं से उन्हें अवगत कराया। डॉ रविंद्र कुमार ने किसानों को जल्द से जल्द सूकर पालन शुरू करने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि सूकर पालन शुरू करते से आमदनी होने लगेगी। इसके लिए बहुत ज्यादा पूंजी की जरूरत नहीं है। कम से कम पूंजी और से भी सूकर पालन शुरू कर सकते हैं।
भारतीय कृषि जैव प्रौद्योगिकी संस्थान के डॉ विनय कुमार सिंह और डॉ अविनाश कुमार ने भी प्रशिक्षण कार्यक्रम में लिए किसानों को जल्द से जल्द लाभ लेने की बात कही। भारतीय कृषि जैव प्रौद्योगिकी संस्थान के डायरेक्टर डॉ पटनायक ने कहा कि वैज्ञानिक तरीके से सूकर पालन कर आमदनी बढ़ा सकते हैं। देसी की तुलना में उन्नत नस्ल का सूकर पालन करने पर आमदनी 2 से 3 गुना बढ़ जाएगी।
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