बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के वानिकी संकाय अधीन वनोत्पाद उपयोगिता विभाग द्वारा संचालित बीवॉक कोर्स इन हर्बल रिसोर्स टेक्नोलॉजी कोर्स के अंतिम वर्ष के 20 छात्रों का दल पतंजलि योगपीठ, हरिद्वार में औद्योगिक प्रशिक्षण सह अधिदर्शन कार्यक्रम में भाग ले रहे है।
विभागाध्यक्ष एवं कोर्स को-ऑर्डिनेटर डॉ कौशल कुमार ने बताया कि तीन वर्षीय बीवॉक इन हर्बल रिसोर्स कोर्स यूजीसी मान्यताप्राप्त देश का पहला कोर्स है। कोर्स के अंतिम सेमेस्टर में छात्रों के लिए औद्योगिक प्रशिक्षण एवं अधिदर्शन कार्य अनुभव अनिवार्य है। पतंजलि योगपीठ के महासचिव आचार्य बालकृष्ण ने स्वयं अभिरुचि लेकर छात्रों को भाग लेने तथा सुविधा के लिए अनुमति दी। योगपीठ के वरिष्ठ पदाधिकारी ललित मोहन ने योगपीठ के सभी विभागों को निर्देशित किया। उनके समन्वय से 20 नवंबर से 15 दिवसीय औद्योगिक प्रशिक्षण सह अधिदर्शन कार्यक्रम सफलतापूर्वक चल रहा है।
छात्रों को योगपीठ के पतंजलि औषधिय उद्यान प्रभाग के वैज्ञानिक डॉ अनुप श्रीवास्तव ने हिमालय की तराई और गंगा के मैदानी क्षेत्रों की औषधिय वनस्पतियों की महत्ता एवं प्रौद्योगिकी के बारे में व्यावहारिक जानकारी साझा की।
पतंजलि रिसर्च इंस्टिट्यूट के वैज्ञानिक डॉ वेद प्रिया एवं डॉ पवन सिंह ने हर्बल सबंधी अत्याधुनिक प्रयोगशाला, हर्बल अनुसंधान की विभिन्न तकनीकी, हरबैरियम एवं वनौषधियों का संग्रहण एवं संरक्षण, वनौषधियों की जैविक खेती तथा वनौषधियों का प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन की जानकारी दी।
डॉ राजेश जैन ने पतंजलि ग्रामोद्योग प्रभाग में पतंजलि के हर्बल एवं अन्य उत्पादों के उत्पादन की तकनीकी, उपयुक्त उपकरण एवं कार्य की विस्तार जानकारी दी।
डॉ राजेश मिश्र और डॉ राकेश मिश्र के समन्यवय एवं मार्गदर्शन में छात्रों का दल आयुर्वेद महाविद्यालय, पतंजलि का भ्रमण कर हर्बल प्रौद्योगिकी की जानकारी ले रहे है।
कोर्स को-ऑर्डिनेटर डॉ कौशल कुमार ने बताया कि छात्रों के दल ने प्रायोगिक रिसर्च फार्म में औषधीय पौधों की खेती का व्यावहारिक अनुभव ज्ञान को भी प्राप्त किया। पतंजलि योगपीठ में औद्योगिक प्रशिक्षण पूरा होने के बाद छात्रों का दल राजधानी दिल्ली में हर्बल प्रौद्योगिकी से सबंधित राष्ट्रीय संस्थानों का भी भ्रमण करेगा।
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