कृषि क्षेत्र में पशुपालन सर्वाधिक लाभकारी उद्यम है। झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों की आजीविका सुरक्षा का पशुपालन केंद्रीय बिंदु है। इसे बढ़ावा देने में पशु चिकित्सा सेवा का विशेष महत्व है। पशुपालन प्रौद्योगिकी को सशक्त कर ही राज्य में ग्रामीण क्षेत्रों के विकास को गति मिलेगी। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के अधीन संचालित रांची वेटनरी कॉलेज का गौरवपूर्ण इतिहास रहा है। इसे राज्य सरकार और विश्वविद्यालय के समन्वय से पुनर्स्थापित करना होगा। उक्त बातें 30 नवंबर को रांची वेटनरी कॉलेज के 61वें स्थापना दिवस समारोह पर मुख्य अतिथि वेटनरी कौंसिल ऑफ इंडिया (वीसीआई), नई दिल्ली के वाईस प्रेसिडेंट डॉ प्रदीप कुमार यादव ने कही।
शिक्षा और शोध पर प्रतिकूल असर
डॉ यादव ने पशु चिकित्सा संकाय द्वारा मुर्गीपालन, सूकरपालन एवं बकरीपालन के क्षेत्र में शोध एवं प्रसार उपलब्धियों की सराहना की। उन्होंने कहा कि पशु चिकित्सा संकाय में शिक्षक एवं गैर शिक्षक संवर्ग के कर्मचारियों की भारी कमी है। इससे गुणवत्तायुक्त शिक्षा एवं शोध पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। इसकी वजह से राज्य के पशुपालन क्षेत्र को काफी नुकसान हो रहा है। वीसीआई की शर्तों के अनुरूप वेटनरी संकाय के स्वीकृत शिक्षक एवं गैर शिक्षक संवर्ग के सभी पदों पर तुरंत नियमित नियोजन की जरूरत है। उन्होंने राज्य हित में बीएयू कुलपति को वेटनरी यूनिवर्सिटी की स्थापना का प्रस्ताव वीसीआई को भेजने का आग्रह किया।
समाधान निकलने की उम्मीद
समारोह की अध्यक्षता करते हुए कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने कहा कि दो वर्षो के बाद छात्रों के कोलाहल से विश्वविद्यालय परिसर खिल उठा है। छात्र काफी मेधावी एवं अच्छे है। विश्वविद्यालय के छात्रों पर हम गौरव करते है। विश्वविद्यालय में शिक्षकों की कमी के सबंध में राजभवन एवं राज्य सरकार से सकारात्मक सहयोग मिल रहा है। समस्या का समाधान निकलने की संभावना है। वीसीआई की शर्तों के मुताबिक शिक्षकों की कमी दूर करने के प्रयासों को प्राथमिकता दी जा रही है। राज्य सरकार एवं विश्वविद्यालय इस दिशा में सजग है। कुलपति ने पशु चिकित्सा संकाय में शिक्षा की गुणवत्ता को तत्काल बहाल करने में वयोवृद्ध सेवानिवृत्त शिक्षकों और कृषि विज्ञान केन्द्रों में कार्यरत वैज्ञानिकों का सहयोग लेने की बात कही।

उपलब्धियों पर प्रकाश डाला
स्वागत भाषण में डीन वेटनरी डॉ सुशील प्रसाद ने कॉलेज के 60 वर्षो की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। बताया कि कॉलेज की स्थापना से अब तक 1688 छात्रों ने अंडर ग्रेजुएट, 460 छात्रों ने पोस्ट ग्रेजुएट और 98 छात्रों ने डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की है। संकाय में अब वेटनरी, फिशरीज एवं डेयरी टेक्नोलॉजी विषयों में भी शिक्षा उपलब्ध है। संकाय आधारभूत संरचना से सशक्त है। इस संकाय से राज्य के अधिकाधिक लाभ के लिए शिक्षकों की कमी दूर करने की दिशा में त्वरित कदम उठाने की आवश्यकता है।
उभरता हुआ बहुउद्देशीय व्यवसाय
पूर्व डीन वेटनरी डॉ एके श्रीवास्तव ने वेटनरी शिक्षा को वर्तमान समय का उभरता हुआ बहुउद्देशीय व्यवसाय बताया। मौके पर झारखंड पशुचिकित्सा सेवा परिषद् के सचिव डॉ डीआर विद्यार्थी ने राज्य में पशुपालन सेवा क्षेत्र की समस्याओं से सबंधित स्मार पत्र वीसीआई वाईस प्रेसिडेंट को सौंपा। राज्य के पशुचिकित्सा सेवा क्षेत्र में स्थिरता पर प्रकाश डालते हुए वीसीआई से पहल करने की अपील की। मौके पर डायरेक्टर एक्सटेंशन एजुकेशन डॉ जगरनाथ उरांव ने भी अपने विचार रखें। समारोह का संचालन डॉ नंदिनी कुमारी और धन्यवाद डीन पीजी डॉ एमके गुप्ता ने किया। वर्षो बाद चालू सत्र में वीसीआई कोटे के अंडर ग्रेजुएट कोर्स में नामांकन के लिए 6 छात्रों के आवंटन के लिए वीसीआई का आभार जताया।
विजेताओं को सम्मानित किया
कॉलेज द्वारा स्थापना सप्ताह के तहत छात्रों के लिए आयोजित विभिन्न प्रतियोगिता के विजेताओं को वीसीआई वाईस प्रेसिडेंट डॉ पीके यादव एवं कुलपति डॉ ओएन सिंह ने सम्मानित किया। क्विज प्रतियोगिता में अमन कुमार की टीम को प्रथम, अंशुल कुमार की टीम को द्वितीय और मोहित दत्ता की टीम को तृतीय पुरस्कार मिला। भाषण कला में ऐश्वर्या राय, विंकल कुमारी एवं सुशील कुमार मिश्र, पोस्टर निर्माण में मो सरफराज, ज्योतिकिरण कुजूर एवं काल्थु जन्या टोप्पो, अंताक्षरी में बॉयज एवं गर्ल्स ग्रुप को पुरस्कृत किया गया। मौके पर संकाय में उत्कृष्ट कार्य के लिए कर्मचारियों में मो नसुरुद्दीन, मुन्ना राम, जितेन्द्र बैठा, महादेव टोप्पो एवं हरिचरण महतो को कुलपति ने सम्मानित किया।
वाईस प्रेसिडेंट का विशेष व्याख्यान
कॉलेज के 61वें स्थापना दिवस के अवसर पर आईसीएआर-नाहेप परियोजना के तहत विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता वीसीआई वाईस प्रेसिडेंट डॉ प्रदीप कुमार यादव ने सीपीसीएसईए में पशुपालन, मत्स्य एवं दुग्ध क्षेत्रों के विशेष प्रतिनिधियों की भूमिका एवं कर्तव्यों पर प्रकाश डाला।
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