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BAU में राष्ट्रीय सेमिनार का समापन, कृषि क्षेत्र में ऑटोमेशन बढ़ाने के लिए क्षमता निर्माण पर जोर

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National Seminar in Birsa Agriculture University

बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (Birsa Agriculture University) में ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स एवं इंटरनेट आफ थिंग्स आधारित स्मार्ट कृषि’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार ने कृषि क्षेत्र में ऑटोमेशन बढ़ाने के लिए कृषि वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों और प्रगतिशील किसानों के बीच क्षमता निर्माण और सतत तकनीकी प्रशिक्षण पर जोर दिया है। कृषि मजदूरों की कमी और बढ़ती लागत से निबटने में सूचना संचार प्रौद्योगिकी आधारित ऑटोमेशन महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है।

अनुशंसा की गई की ये नई तकनीकें कम लागत में कैसे अपनाई जा सकती हैं और किसानों तक पहुंचाई जा सकती हैं, इसका विधिवत आकलन किया जाए तथा ऑटोमेशन के सफलतापूर्वक कार्यान्वयन के लिए एक प्राथमिकता तय की जाए कि किस तकनीक को और किस क्षेत्र में पहले अपनाना है। इन नई तकनीकों का समावेश करते हुए प्रसार शिक्षा के पाठ्यक्रम को अपडेट करने की भी अनुशंसा की गई।

पशुपालन, वानिकी और मात्स्यिकी गतिविधियों और उत्पादों के प्रसंस्करण से आर्थिक रिटर्न अधिकतम करने, इनपुट प्रयोग की प्रभावशीलता बढ़ाने और विभिन्न प्रकार के वायरल, बैक्टीरियल और फंगल रोगों के नियंत्रण में भी आईटी संचालित मशीनों का प्रयोग बढ़ाने की अनुशंसा की गयी।

समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए बीएयू (Birsa Agriculture University) के कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने कहा कि सस्य विज्ञान और प्रसार विज्ञान के विशेषज्ञों को आपस में बेहतर समन्वय बनाकर ऑटोमेशन की दिशा में बढ़ना चाहिए तथा एमएससी और पीएचडी के विद्यार्थियों को भी शोध के लिए यह विषय आवंटित करना चाहिए, ताकि झारखंड की इस पहल का निष्कर्ष पूरे देश के लिए एक उदाहरण बने।
बिधान चंद्र कृषि विश्वविद्यालय, कल्याणी, पश्चिम बंगाल के पूर्व कुलपति डॉ एम एम अधिकारी ने कहा कि कृषि क्षेत्र में ऑटोमेशन में स्मार्टफोन की भूमिका लगातार बढ़ेगी और फोन के माध्यम से ही बहुत सी मशीनी गतिविधियों को संचालित और नियंत्रित किया जा सकेगा।

बीएयू के कृषि अधिष्ठाता डॉ एसके पाल ने कहा कि फलों की तुड़ाई, खरपतवार नियंत्रण, कीटनाशकों के छिड़काव और पेड़ों की कटाई-छंटाई में रोबोट का इस्तेमाल होता रहा है जिसे अब नए क्षेत्रों में बढ़ाने की जरूरत है।

निदेशक अनुसंधान डॉ ए वदूद ने कहा कि अभी तक उद्योगों, नागरिक उड्डयन और डिफेंस सेक्टर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग ज्यादा होता रहा। सी-डैक की पहल से अब कृषि गतिविधियों के त्वरित, प्रभावी और कॉस्ट इफेक्टिव संचालन में भी इस तकनीक के प्रयोग के द्वार खुल रहे हैं। किंतु इस दिशा में चरणबद्ध ढंग से बढ़ना चाहिए और आरम्भ में सीमित कृषि कार्यों में इसके प्रयोग की शुरुआत करनी चाहिए। झारखंड सरकार द्वारा बनाए जा रहे 100 एग्री स्मार्ट गांवों से इसकी शुरुआत की जा सकती है।
आयोजन सचिव डॉ बीके झा ने धन्यवाद ज्ञापन किया तथा संचालन शशि सिंह ने किया।

ओरल प्रजेंटेशन में कुमारी श्वेता को प्रथम, डॉ पंकज कुमार के द्वितीय तथा प्रिया पल्लवी को तृतीय पुरस्कार प्रदान किया गया। इसी प्रकार पोस्टर प्रेजेंटेशन में आशीष एलोइस मिंज को प्रथम, शाल्वी ऐश्वर्या को द्वितीय तथा अमृता सोनी को तृतीय पुरस्कार प्राप्त हुआ। रजनीकांत और शिल्पा रानी कुजूर को सांत्वना पुरस्कार मिला। ऑफलाइन और ऑनलाइन मोड में 15 राज्यों के विशेषज्ञों ने अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया। झारखंड के विभिन्न जिलों के अलावा बिहार के दरभंगा और मधुबनी के किसानों ने भी भाग लिया।.

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