Quantcast
Channel: Birsa Agricultural University
Viewing all articles
Browse latest Browse all 2473

मानसून पूर्व वर्षा सक्रिय, खरीफ फसलों की खेती की तैयारी करें किसान : डॉ सिंह

$
0
0

इस समय पूरे प्रदेश में मानसून पूर्व वर्षा सक्रिय है। मौसम पूर्वानुमान के मुताबिक अगले 4-5 दिनों तक आकाश में हल्के बादल छाये रहेंगे। प्रदेश में इस वर्ष 5 से 6 दिनों पूर्व ही मानसून दस्तक देगी। बीएयू के कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने इसे देखते हुए किसानों को खरीफ फसलों की खेती के लिए खेतों की तैयारी शुरू करने की सलाह दी है।

कुलपति ने खरीफ मौसम में खेती-किसानी पर विचार साझा करते हुए बताया कि प्रदेश में 80 प्रतिशत कृषि कार्य इसी मौसम यानी खरीफ में होने से किसानों को विभिन्न बातों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। राज्य में मानसून दस्तक के एक पखवाड़े से भी कम समय बचा है। मानसून कुछ दिनों पहले आने एवं सामान्य वर्षापात की संभावना है। ऐसे में किसानों को खेतीबाड़ी में अधिकाधिक कृषि यंत्रों के उपयोग से खेतों की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। सही समय पर खरीफ खेती की तैयारी राज्य के किसानों के लिए बेहद उपयोगी एवं लाभप्रद होगी।

इस समय खेतों में जुताई के लिए उपयुक्त नमी मौजूद है। किसान अपने खाली खेतों की जुताई ढाल के विपरीत दिशा में करें। खेतों के मेढ़ों को दुरुस्त करें। खेतों की तैयारी में जून में बोई जाने वाली फसलों के लिए खेत की जुताई को प्राथमिकता के साथ पूरी कर लें। अंतिम जुताई से पहले खेतों में कंपोस्ट खाद डालकर अच्छी तरह मिट्टी में मिला दें।

खरीफ फसलों की समय पर बुवाई के लिए शुद्ध एवं स्वस्थ प्रमाणित उन्नत बीज का चयन करें। बीज को उपचारित करने के लिए फफूंदनाशी दवा/कीटनाशी दवा तथा खरपतवार नाशक दवा की अग्रिम व्यवस्था करनी चाहिए। दलहनी एवं तेलहनी फसलों के बीज को उपचारित करने के लिए सबंधित फसल का राईजोबियम कल्चर (जो एक जीवाणु खाद है) का प्रबंध कर लें।

खेती-किसानी में बेहतर उपज हेतु मिट्टी के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। किसानों के लिए मिट्टी जांच के आधार पर अनुशंसित उर्वरकों की मात्रा का प्रयोग करना उचित होगा। मिट्टी जांच रिपोर्ट नहीं होने की स्थिति में किसानों को सबंधित फसल के लिए अनुशंसित खाद एवं उर्वरकों की संतुलित मात्रा का अवश्य प्रयोग करें।

खेतों की मिट्टी अम्लीय प्रकृति का होने पर किसानों को मक्का, दलहनी एवं तेलहनी फसलों की खेती में अनुशंसित उर्वरकों के अलावे बुवाई के समय 4 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से चूना का प्रयोग पंक्तियों में करके मिट्टी में अच्छी तरह मिलाना चाहिए। किसानों को अपने खेतों की उर्वराशक्ति बनाये रखने और अधिक पैदावार के लिए फसल-चक्र में दलहनी फसलों को अवश्य शामिल करना चाहिए।

कच्चे गोबर खाद का प्रयोग नहीं करें। दीमक के प्रकोप से बचाव में क्लोरपाईरीफोस 2 मिली लीटर प्रति लीटर पानी में डालकर बुवाई के बाद भिंगाये (ड्रेनचिंग करें)। कीट एवं रोगों से बचाव के लिए सबसे पहले बीज को फफूंदनाशी, फिर कीटनाशी और सबसे बाद में जीवाणु खाद से उपचारित करना चाहिए। बुवाई में फसल के अनुरूप कतार से कतार और पौधें से पौधें की निश्चित दूरी रखें।

The post मानसून पूर्व वर्षा सक्रिय, खरीफ फसलों की खेती की तैयारी करें किसान : डॉ सिंह appeared first on Birsa Agricultural University.


Viewing all articles
Browse latest Browse all 2473