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बीएयू ने मनाया 42वां स्थापना दिवस, राज्‍यपाल बोले- बिरसा कृषि विश्वविद्यालय किसानों का तीर्थ स्थल

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राज्यपाल रमेश बैस

राजधानी रांची के कांके में स्थित बिरसा कृषि विश्वविद्यालय ने अपना 42 वां स्थापना दिवस मनाया. इस मौके पर राज्यपाल रमेश बैस मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। इस अवसर पर राज्यपाल ने विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित वार्षिक प्रतिवेदन 2021-22 व किसानों की पंचायतनामा पुस्तक एवं पठारी कृषि पत्रिका का विमोचन किया. झारखण्ड लोक सेवा आयोग द्वारा सहायक प्राध्यापक के 10 पदों पर अनुशंसित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र प्रदान किये. कृषि अभियांत्रिकी में बेहतर कार्य के लिए दो वैज्ञानिकों, सेवानिवृत्त दो शिक्षकों व तीन कर्मचारियों को सम्मानित किया तथा निबंध प्रतियोगिता में विजयी विद्यार्थी एवं कर्मचारियों को भी पुरस्कार से नवाजा। उन्होंने राज्य के 5 किसानों के बीच 9 फसलों के उन्नत बीज तथा 15 किलो उन्नत धान बीज का पैकेट बांटा.

मैं किसान परिवार से हूं, किसानों की परेशानी समझता हूं : राज्यपाल

राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि बिरसा कृषि विश्वविद्यालय स्थापना के बाद से ही झारखंड के विकास में अहम भूमिका निभा रही है। मैं किसान परिवार से हूं. किसानों की परेशानी एवं आशाओं से पूरी तरह वाकिफ हूं. आज भले ही किसानों के लिए खेती लाभकारी न हों. बढ़ती आबादी और घटती खेती की जमीन सरकारों के लिए चिंता का विषय बनते जा रहा है. आने वाले कल में जिनके पास खेती वाली जमीन होगी, वहीं सबसे अमीर आदमी होगा. भविष्य के भारत में खेती-किसानी सबसे लाभकारी व्यवसाय होगी. भारत देश तेजी से विकास कर रहा है. पहले की दुनिया भले ही मेड इन जापान और वर्तमान मेड इन चाइना हो. लेकिन तकनीक के बल पर विश्व का भविष्य मेड इन इंडिया होगी.

किसानों का तीर्थ स्थल है बिरसा कृषि विश्वविद्यालय

राज्यपाल ने कहा कि राज्य के विश्वविद्यालयों में शिक्षकों एवं कर्मचारियों की कमी बेहद चिंता का विषय है. बिरसा कृषि विश्वविद्यालय किसानों का तीर्थ स्थल है. इसकी पहचान किसानों के सामर्थ्य एवं विकास से जुड़ा है. कृषि वैज्ञानिकों को किसानों के खेतों में जाकर समस्याओं का निदान करनी चाहिए. विश्वविद्यालय ने राज्य को तकनीकी मानव बल दिये, किसानों के हित में फसल सुधार से फसल उत्पादन एवं उत्पादकता को बढ़ावा मिला तथा प्रसार कार्यक्रमों से कृषि विकास में उल्लेखनीय योगदान दिया. विश्वविद्यालय में पिछले 4-5 वर्षों में कृषि, उद्यान, दुग्ध प्रौद्योगिकी, मत्स्य विज्ञान एवं कृषि अभियांत्रिकी विषयों में 7 नये महाविद्यालय खोले गये. इन विगत वर्षों में विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों की संख्या में चार गुणा से अधिक बढ़ोत्‍तरी हुई है. राज्य के इस एक मात्र कृषि विश्वविद्यालय में राज्य हित में व्यापक संभावनाएं निहित है. इस विश्वविद्यालय में शिक्षकों एवं कर्मचारियों की कमी है. नये महाविद्यालयों में संसाधन की भारी कमी है. इस दिशा में बेहतर कोशिश एवं ठोस पहल करनी होगी.

फूल, सब्जी एवं पशुधन संबंधी क्षेत्र को बढ़ावा देने का सुझाव

इस अवसर पर कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने विश्वविद्यालय को अग्रणी बनाये रखने की दिशा में कुलाधिपति के मार्गदर्शन के प्रति आभार जताया. उनके द्वारा फूल, सब्जी एवं पशुधन सबंधी क्षेत्र को बढ़ावा देने के सुझावों पर किये गये पहल की चर्चा की. मौके पर विशिष्ट अतिथि पूर्व कुलपति, बीएयू ने विगत वर्षों में विश्वविद्यालय की शिक्षा, शोध एवं प्रसार के क्षेत्र में उपलब्धियों की प्रशंसा की. कृषि वैज्ञानिकों को लैब एवं क्लास रूम से निकलकर किसानों से जुड़ने एवं खेतों में समस्या निदान की बात कही. विद्यार्थियों को देश हित में कृषि क्षेत्र में बेहतर कार्य के लिए संकल्पित होने को कहा.

ये हुए सम्मानित

कृषि अभियांत्रिकी में बेहतर कार्य को लेकर वैज्ञानिक ई डीके रुसिया एवं डॉ उत्तम कुमार को सम्मानित किया गया. सेवानिवृत्त शिक्षक डॉ एनसी दास, डॉ एससी प्रसाद एवं सेवानिवृत्त कर्मचारी एसएन दास, दमरी राम एवं पंचू महतो को सम्मानित किया गया.

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