तीस दिनों तक मैत्री प्रशिक्षण में शामिल सभी प्रतिभागी अब बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के एलुमनाई है। सभी ग्रामीण स्तर पर दक्ष कृत्रिम गर्भाधान विषयक कार्यकर्त्ता बनेंगे। आपने जो भी सीखा है, इससे स्थानीय क्षेत्रों के गव्य विकास के बढ़ावा देने में भरपूर प्रयास करें। स्थानीय गो-पालक से अपने अनुभवों को साझा करें। गांवों में कम खर्च पर आसानी से कृत्रिम गर्भाधान द्वारा पशु नस्ल सुधार को आगे बढ़ाये। इससे राज्य में गव्य विकास कार्यक्रम को गति, ग्रामीणों को आर्थिक व पोषण सुरक्षा मिलेगी। उक्त बातें बीएयू कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने बतौर मुख्य अतिथि राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत आयोजित 30 दिवसीय मैत्री प्रशिक्षण के समापन पर कही। मौके पर कुलपति ने प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र प्रदान किया।
जेएसआईए, रांची के मुख्य अनुदेशक डॉ केके तिवारी ने कहा कि राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना में पूरे राज्य में पंचायत स्तर पर मल्टीटास्किंग आर्टिफीसीयल इनसेमीनेशन तकनीशियन फॉर रूरल इंडिया (मैत्री) की स्थापना की जानी है। अगले 5 वर्षो में 3407 प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से ग्रामीण बेरोजगार युवकों को कृत्रिम गर्भाधान में दक्ष किया जाना है, ताकि ग्रामीण युवकों को रोजगार का साधन मिले। पशु धन विकास को बढ़ावा मिले।
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