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किसानों के हित में संरक्षित खेती प्रौद्योगिकी व्यवहार्य विकल्प : डॉ ओंकार नाथ सिंह

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बागवानी और रेशम उत्पादन निदेशालय (हैदराबाद, तेलंगाना) और आईसीएआर-एआईसीआरपी- पीईएएसईएम- बीएयू (रांची) के संयुक्त तत्वावधान में ‘कम लागत वाले डिटेचेबल रूफ पॉलीहाउस (लकड़ी/बांस) पर प्रदर्शन इकाई की स्थापना’ विषय पर ऑनलाइन माध्यम से ब्रेनस्टॉर्मिंग सत्र का आयोजन किया गया। सत्र के मुख्य अतिथि बीएयू कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह थे।

डॉ सिंह ने बीएयू स्थित एआईसीआरपी-पीईएएसईएम रांची केंद्र में झारखंड में किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए विकसित विभिन्न संरक्षित खेती प्रौद्योगिकियों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि ये तकनीकें बेहद उपयोगी एवं लाभकारी साबित हो रही है। इनमें से कुछ तकनीकों का उपयोग पूरे भारत में किया जा सकता है। पीईएएसईएम अधीन विकसित तकनीकें किसानों के लिए कम लागत वाला डिटेचेबल रूफ ग्रीन हाउस की कुछ चुनौतियों को कम करने के लिए एक व्यवहार्य विकल्प हो सकती है।

सम्मानित अतिथि एआईसीआरपी-पीईएएसईएम के राष्ट्रीय परियोजना समन्वयक डॉ आरके सिंह ने परियोजना के तहत देशभर में विकसित विभिन्न प्लास्टिक प्रौद्योगिकियों पर विशेष रूप से पॉलीहाउस पर विस्तार से प्रकाश डाला।

बागवानी और रेशम उत्पादन निदेशालय (हैदराबाद) के निदेशक एल वेंकटराम रेड्डी ने बताया कि तेलंगाना को गर्मी के दौरान उच्च तापमान एवं प्रकाश की तीव्रता और बरसात के मौसम में उच्च वर्षा जैसे प्रमुख चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इन चुनौतियों का पॉलीहाउस और नेटहाउस के उचित डिजाइन के प्रबंधन से खेती को लाभदायक बनाने की दिशा में यह प्रयास किया जा रहा है।

उप निदेशक के वेणुगोपाल ने कहा कि तेलंगाना में संरक्षित खेती विशेष रूप से पॉलीहाउस और नेटहाउस की वर्तमान स्थिति और चुनौतियों पर चर्चा करने एवं इन चुनौतियों को बिरसा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित तकनीकी की सहायता से कम करने के तरीके पर चर्चा ही ब्रेनस्टॉर्मिंग सत्र का उद्देश्य रखा गया है।

मौके पर बीएयू विशेषज्ञ एवं पीईएएसईएम प्रभारी रांची केंद्र डॉ प्रमोद राय ने प्रौद्योगिकियों पर विस्तृत दृष्टिकोण रखा। उन्होंने तेलंगाना और भारत के अन्य हिस्सों में संरक्षित खेती प्रौद्योगिकियों को लागू करने पर रोड मैप प्रस्तुत किया।

रांची केंद्र में विकसित विभिन्न संरक्षित कृषि संरचनाओं पर कम लागत वाले डिटेचेबल रूफ ग्रीन हाउस पर विशेष चर्चा की। बताया कि यद्यपि कृषक समुदायों के लिए कई प्रौद्योगिकियां विकसित की गई हैं, लेकिन पहले हमें बाजार और मूल्य प्राप्ति तक पहुंच बनानी होगी। इसके आधार पर हमें उपज का चयन करना होगा। फिर हमें कृषि गतिविधियों को लाभदायक और टिकाऊ बनाने के लिए उपयुक्त संरक्षित कृषि प्रौद्योगिकियों का चयन करना होगा। उन्होंने सत्र के दौरान कम लागत वाली डिटेचेबल रूफ ग्रीन हाउस तकनीक पर प्रकाश डाला।

विशेषज्ञों ने इसे अधिक प्रभावी बनाने के लिए कई अन्य विकल्पों पर सुझाव दिया। रांची केंद्र में किए गए कार्यों की सराहना की। सत्र के अंत में कम लागत वाले डिटेचेबल रूफ पॉलीहाउस (लकड़ी/बांस) पर प्रस्तावित प्रदर्शन इकाई पर चर्चा हुई।

तेलंगाना में आने वाली चुनौतियों को कम करने के लिए कम लागत वाले पॉलीहाउस के डिजाइन पर घर निर्माण पर विभिन्न सुझाव आए। तेलंगाना में मौजूदा पॉलीहाउस और नेटहाउस के लिए चुनौतियों पर चर्चा करने और व्यवहार्य समाधान के के लिए विशेषज्ञों की एक कोर कमेटी बनाने का निर्णय लिया गया।

ब्रेनस्टॉर्मिंग में एसोसिएट डीन डॉ डीके रूसिया सहित तेलंगाना राज्य के कृषि विश्वविद्यालय के संकाय और वैज्ञानिक, जिला बागवानी अधिकारियों सहित लगभग 80 लोगों ने भाग लिया।

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