बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने झारखंड में रबी फसलों का उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने के लिए राज्य सरकार से मिलकर योजनाबद्ध प्रयास करने का आह्वान वैज्ञानिकों से किया है. गुरुवार को रबी अनुसंधान परिषद की 42वीं बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले 6-7 वर्षों में राज्य में दलहन का उत्पादन 16 मिलियन टन से बढ़कर लगभग 25 मिलियन टन हो गया. किंतु सरसों- तीसी आदि तेलहनी फसलों के क्षेत्र में अपेक्षित प्रगति नहीं हो पाई. उन्होंने कहा कि राज्य में धान फसल की कटाई के बाद एक बड़ा क्षेत्र रबी मौसम में खाली पड़ा रहता है, उसे खेती के अंदर लाने की प्रभावी रणनीति तैयार करनी चाहिए.
बीएयू के पूर्व कृषि अधिष्ठाता डॉ एके सरकार ने पानी के विवेकपूर्ण उपयोग पर जोर देते हुए कहा कि न्यूनतम सिंचाई के साथ अधिकतम उत्पादन लेने की तकनीक पर काम करना चाहिए. क्षेत्र में अवस्थित भारतीय जैव प्रौद्योगिकी संस्थान, भारतीय प्राकृतिक राल एवं गोंद संस्थान, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के साथ मिलकर तकनीकी ज्ञान का आदान- प्रदान करते हुए रबी फसलों का रकबा बढ़ाने की दिशा में कारगर प्रयास होना चाहिए. केंद्रीय तसर अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान के निदेशक डॉ के सत्यनारायण ने कहा कि जब रबी मौसम में ज्यादातर किसानों की विशेष गतिविधि नहीं रहती है, उस समय वे तसर से लाभ कमा सकते हैं.अरंम में निदेशक अनुसंधान डॉ एसके पाल ने अतिथियों का स्वागत करते हुए पिछले रबी मौसम की विशिष्ट अनुसंधान उपलब्धियों को बताया.
रेगुलेशन ऑन रेजिडेंट इंस्ट्रक्शन फॉर यूजी प्रोग्राम का लोकार्पण
इस अवसर पर रबी रिसर्च हाईलाइट, आनुवंशिकी एवं पौधा प्रजनन विभाग के अध्यक्ष डॉ सोहन राम एवं सहयोगी वैज्ञानिकों द्वारा संकलित पुस्तिका झारखंड के लिए फसल प्रभेद, क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र, चियांकी के वैज्ञानिक डॉ अखिलेश साह द्वारा लिखित जनरल एग्रोनॉमी तथा डीन पीजी डॉ एमके गुप्ता द्वारा तैयार रेगुलेशन ऑन रेजिडेंट इंस्ट्रक्शन फॉर यूजी प्रोग्राम का लोकार्पण किया गया. कृषि संकाय के विभिन्न विभागों और क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्रों के प्रमुखों ने बीते वर्ष की रवि अनुसंधान उपलब्धियों को बताया . इस अवसर पर डॉ अब्दुल वदूद, डॉ राघव ठाकुर एवं डॉ एमएस यादव भी उपस्थित थे.
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