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वैज्ञानिक दल ने बीएयू के राइस शोध कार्यो को देखा और शोध कार्यक्रमों की समीक्षा की

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सुखा रोधी चावल किस्मों के विकास के लिए इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टिट्यूट (आईआरआरआई), फिलीपिंस से वित्त संपोषित परियोजना के शोध कार्यक्रमों की समीक्षा के लिए आईआरआरआई से जुड़े सात वैज्ञानिकों के दल ने शनिवार को दौरा किया।

इस दल में आईआरआरआई, फिलीपिंस के वैज्ञानिक डॉ सुरेश कादरु, डॉ पीटी प्रकाशन एवं डॉ वीटालियानो लोपेना, आईआरआरआई, फिलीपिंस-बाग्लादेश के डॉ एमआर इस्लाम तथा आईआरआरआई, फिलीपिंस- हैदराबाद के डॉ चलला वेंकटतेश्वार्लू एवं जे कोमिजेरिया शामिल थे।

वैज्ञानिकों के दल ने बीएयू के वेस्टर्न सेक्शन फार्म में आईआरआरआई चावल शोध परियोजना अधीन संचालित चार प्रायोगिक फार्म में लगे करीब 381 सुखा रोधी चावल किस्मों के प्रदर्शन को बारीकी से हरेक प्लाट में देखा। इस दौरान ऊपरी भूमि में 140, माध्यम भूमि 235 तथा नीची भूमि में 26 चावल किस्मों के फसल प्रदर्शन का आकलन किया। फसल की वानस्पतिक वृद्धि, ऊंचाई, दाना, कीट एवं रोग व्याधि, खेतों में नमी का प्रभाव, बेहतर प्रदर्शित फसल किस्मों का अवलोकन किया। आईआरआरआई – चावल शोध परियोजना से जुड़े वैज्ञानिकों से शोध सबंधी आवश्यक जानकारियाँ एवं मंतव्य हासिल किया।

दल ने चावल के विभिन्न सुखा रोधी किस्मों के फसल प्रदर्शन को काफी उत्साहवर्धक बताया और प्रायोगिक फार्म के शोध डिजाईन की सराहना की। फार्म में फसल प्रबंधन को अच्छा बताया और खेतो में विधिवत नमी प्रबंध किये जाने पर बल दिया। वैज्ञानिक दल ने बीएयू वैज्ञानिकों को राज्य के अनुकूल एवं वर्षा आधारित सुखा रोधी किस्मों के विकास हेतु आवश्यक सुझाव दिया एवं बेहतर प्रबंधन हेतु जरूरी टिप्स दिये।

दल ने कहा कि झारखंड में धान के खेतों नमी का प्रबंधन काफी बड़ी चुनौती है। इसके लिए खेतों का समतल होना और उन्नत तकनीकियों को प्राथमिकता देनी होगी। दल ने धान फसल में गंधी बग और स्टेम बोरर के प्रकोप पर नियंत्रण की बात कही। धान फसल में जिंक की कमी पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता जताया। भ्रमण के दौरान डॉ पीके सिंह, डॉ कृष्णा प्रसाद, डॉ पीबी साहा, डॉ अशोक कुमार सिंह, डॉ एखलाख अहमद, डॉ रवि कुमार, डॉ विनय कुमार, डॉ एमके वर्णवाल, डॉ वर्षा रानी आदि भी मौजूद थे।

शोध फार्म भ्रमण के उपरांत आईआरआरआई वैज्ञानिक दल ने बीएयू के निदेशक अनुसंधान डॉ एसके पाल, अपर निदेशक अनुसंधान डॉ पीके सिंह एवं अनुवांशिकी एवं पौधा प्रजनन विभाग के अध्यक्ष डॉ सोहन राम तथा आईआरआरआई चावल अनुसंधान परियोजना से जुड़े वैज्ञानिकों के साथ फार्म भ्रमण के अनुभवों को साझा की और भावी शोध रणनीति पर चर्चा की।

बीएयू के चावल फसल विशेषज्ञ डॉ कृष्णा प्रसाद ने दल को जानकारी दी कि आईसीएआर तथा आईआरआरआई शोध परियोजना के अधीन विवि द्वारा करीब 15 एकड़ भूमि में दो हजार से अधिक चावल किस्मों पर शोध कार्यक्रम चलाया जा रहा है। राज्य में करीब 80 प्रतिशत क्षेत्र में धान की खेती वर्षा आधारित है। जिनपर विशेष धयान देते हुए शोध कार्यो को आगे बढाया जा रहा है।सुखा रोधी चावल किस्मों के विकास के लिए इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टिट्यूट (आईआरआरआई), फिलीपिंस से वित्त संपोषित परियोजना के शोध कार्यक्रमों की समीक्षा के लिए आईआरआरआई से जुड़े सात वैज्ञानिकों के दल ने शनिवार को दौरा किया।

इस दल में आईआरआरआई, फिलीपिंस के वैज्ञानिक डॉ सुरेश कादरु, डॉ पीटी प्रकाशन एवं डॉ वीटालियानो लोपेना, आईआरआरआई, फिलीपिंस-बाग्लादेश के डॉ एमआर इस्लाम तथा आईआरआरआई, फिलीपिंस- हैदराबाद के डॉ चलला वेंकटतेश्वार्लू एवं जे कोमिजेरिया शामिल थे।

वैज्ञानिकों के दल ने बीएयू के वेस्टर्न सेक्शन फार्म में आईआरआरआई चावल शोध परियोजना अधीन संचालित चार प्रायोगिक फार्म में लगे करीब 381 सुखा रोधी चावल किस्मों के प्रदर्शन को बारीकी से हरेक प्लाट में देखा। इस दौरान ऊपरी भूमि में 140, माध्यम भूमि 235 तथा नीची भूमि में 26 चावल किस्मों के फसल प्रदर्शन का आकलन किया। फसल की वानस्पतिक वृद्धि, ऊंचाई, दाना, कीट एवं रोग व्याधि, खेतों में नमी का प्रभाव, बेहतर प्रदर्शित फसल किस्मों का अवलोकन किया। आईआरआरआई – चावल शोध परियोजना से जुड़े वैज्ञानिकों से शोध सबंधी आवश्यक जानकारियाँ एवं मंतव्य हासिल किया।

दल ने चावल के विभिन्न सुखा रोधी किस्मों के फसल प्रदर्शन को काफी उत्साहवर्धक बताया और प्रायोगिक फार्म के शोध डिजाईन की सराहना की। फार्म में फसल प्रबंधन को अच्छा बताया और खेतो में विधिवत नमी प्रबंध किये जाने पर बल दिया। वैज्ञानिक दल ने बीएयू वैज्ञानिकों को राज्य के अनुकूल एवं वर्षा आधारित सुखा रोधी किस्मों के विकास हेतु आवश्यक सुझाव दिया एवं बेहतर प्रबंधन हेतु जरूरी टिप्स दिये।

दल ने कहा कि झारखंड में धान के खेतों नमी का प्रबंधन काफी बड़ी चुनौती है। इसके लिए खेतों का समतल होना और उन्नत तकनीकियों को प्राथमिकता देनी होगी। दल ने धान फसल में गंधी बग और स्टेम बोरर के प्रकोप पर नियंत्रण की बात कही। धान फसल में जिंक की कमी पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता जताया। भ्रमण के दौरान डॉ पीके सिंह, डॉ कृष्णा प्रसाद, डॉ पीबी साहा, डॉ अशोक कुमार सिंह, डॉ एखलाख अहमद, डॉ रवि कुमार, डॉ विनय कुमार, डॉ एमके वर्णवाल, डॉ वर्षा रानी आदि भी मौजूद थे।

शोध फार्म भ्रमण के उपरांत आईआरआरआई वैज्ञानिक दल ने बीएयू के निदेशक अनुसंधान डॉ एसके पाल, अपर निदेशक अनुसंधान डॉ पीके सिंह एवं अनुवांशिकी एवं पौधा प्रजनन विभाग के अध्यक्ष डॉ सोहन राम तथा आईआरआरआई चावल अनुसंधान परियोजना से जुड़े वैज्ञानिकों के साथ फार्म भ्रमण के अनुभवों को साझा की और भावी शोध रणनीति पर चर्चा की।

बीएयू के चावल फसल विशेषज्ञ डॉ कृष्णा प्रसाद ने दल को जानकारी दी कि आईसीएआर तथा आईआरआरआई शोध परियोजना के अधीन विवि द्वारा करीब 15 एकड़ भूमि में दो हजार से अधिक चावल किस्मों पर शोध कार्यक्रम चलाया जा रहा है। राज्य में करीब 80 प्रतिशत क्षेत्र में धान की खेती वर्षा आधारित है। जिनपर विशेष धयान देते हुए शोध कार्यो को आगे बढाया जा रहा है।

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