झारखंड के पशुपालन निदेशक डॉ शशि प्रकाश झा ने कहा कि बेहतर आजीविका के लिए किसानों को खेती और पशुपालन दोनों उद्यमों को अपनाना बेहद लाभकारी रहा है। आधुनिक खेती में किसान पशुपालन से विमुख हो रहे हैं। खेतों को बंजर और विषैला बनने से बचाव के लिए प्राकृतिक खेती जरूरी है। वह बीएयू में चल रहे पशुधन प्रसार नवाचारों पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।
डॉ झा ने कहा कि पशुधन के उपयोग से किसान कृषि कार्य में दोहरा लाभ हासिल कर सकते है। किसानों ने समर्पण की भावना और अपनी क्षमता से चंद वर्षो में ही आमदनी दस गुणी तक बढ़ाई है। वेटनरी छात्रों और किसानों में समर्पण की भावना और क्षमता विकास को बढ़ावा देकर किसानों के आय में बढ़ोतरी को गतिशील बनाया जाना संभव है।
बीएयू कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने कहा कि वैज्ञानिकों द्वारा विकसित एवं अनुशंसित तकनीकी का किसानों द्वारा अंगीकरण में शिथिलता किसानों की आय बढ़ोतरी में मुख्य बाधा है। किसानों में पशुधन के देशी नस्ल के प्रति विशेष आकर्षण होता है. वैज्ञानिकों को स्थानीय किसानों के मांग पर आधारित लाभकारी नस्ल का चयन कर लगातार देशी उन्नत नस्ल/तकनीकी को विकसित करने और इसे बढ़ावा देने की जरूरत हैख् ताकि किसान देशी उन्नत नस्ल/तकनीकी को आसानी से अपनाकर अपनी आय में बढ़ोतरी कर सकें।
मौके पर कुलपति एवं पशुपालन निदेशक ने राष्ट्रीय सम्मलेन में प्रस्तुत ओरल, पोस्टर एवं लीड पेपर में से बेस्ट ओरल पेपर, बेस्ट पोस्टर पेपर एवं बेस्ट लीड पेपर अवार्ड से वेटनरी एक्सटेंशन प्रोफेशनल को सम्मानित किया गया।
भारतीय पशु चिकित्सा प्रसार फोरम (आईवीईएफ) के अध्यक्ष डॉ एनके सुदीप कुमार ने बताया कि सम्मलेन में देश के 12 राज्यों के 150 वेटनरी एक्सटेंशन प्रोफेशनल ने भाग लिया। कुल 152 ओरल, पोस्टर एवं लीड पेपर प्राप्त हुए। वैज्ञानिकों का मुख्य उद्देश्य किसानों का लाभकारी तकनीकी एवं परामर्श से कल्याण में निहित है।
सम्मलेन के अनुशंषित विषयों का वेटनरी एक्सटेंशन प्रोफेशनल अनुसरण करें। आधुनिक एवं अभिनव तकनीकों का किसानों तक विस्तारीकरण में कृत संकल्पित रहें, जिससे राज्य एवं केंद्र सरकार के किसानों की दोगुनी करने के सपनों को पूरा किया जा सके।
मौके पर विशिष्ट अतिथि रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय के कुलसचिव कर्नल राजेश कुमार और भारतीय पशु चिकित्सा प्रसार फोरम (आईवीईएफ) के पूर्व डॉ एसडीएन राव ने भी अपने विचारों को रखा।
स्वागत भाषण में डीन वेटनरी डॉ सुशील प्रसाद ने सम्मलेन में सहयोग के लिए भारतीय पशु चिकित्सा प्रसार फोरम, नाबार्ड एवं नाहेप परियोजना का आभार जताया। मंच संचालन डॉ नंदिनी कुमारी और धन्यवाद डॉ एके पांडे ने किया।
मौके पर डॉ एसके मल्लिक, डॉ सुरेश मेहता, डॉ राजू प्रसाद, डॉ बीके झा, डॉ रबिन्द्र कुमार, डॉ पंकज सेठ, एचएन दास एवं मृतुन्जय कुमार सिंह आदि भी मौजूद थे।
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