झारखंड राज्य सभी प्रकार के फसलों की खेती के लिए बेहद उपयुक्त है। किसान कृषि की विभिन्न विधाओं को अपनाकर इसका लाभ ले सकते है। स्थानीय कृषि वैज्ञानिकों ने अनेकों लाभकारी तकनीके विकसित किये हैं। विवि द्वारा स्थानीय व उपयुक्त अनेकों अच्छे शोध एवं प्रसार कार्यक्रम चलाये जा रहे है। किसान कृषि वैज्ञानिकों पर भरोसा करे। खेती में बेहतर एवं उपयुक्त कृषि योजना की रणनीति अपनाये। उक्त बातें बीएयू कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) के इनपुट लाइसेंस विषयक 15 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता करते हुए 6 नवंबर को कही।
विशिष्ट अतिथि बीएयू कुलसचिव डॉ एन कुदादा ने एफपीओ को उन्नत कृषि तकनीकी के अतिरिक्त कृषि उत्पादकों के मूल्यवर्धन एवं प्रसंस्करण को अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने एफपीओ के गतिविधियों से ग्रामीण कृषि को समृद्ध एवं सुदृढ़ करने पर बल दिया।
नाबार्ड के सहायक महाप्रबंधक अभय कुमार सिंह ने कहा कि खाद व उर्वरक का प्रयोग, कृषि विविधिकरण, खेती लागत आदि विषयों की जानकारी से किसानों की आय वृद्धि में मदद मिलेगी।
नाबार्ड की प्रबंधक पूजा भारती ने कहा कि प्रशिक्षण से एफपीओ को खाद एवं बीज लाइसेंस के लिए पात्र बनाया जा सकेगा। प्रशिक्षण के बाद एफपीओ के प्रतिनिधि को फर्टिलाइजर लाइसेंस मिलने से किसानों के द्वार तक कृषि इनपुट आसानी से उपलब्ध होगा।
प्रशिक्षण समन्यवयक डॉ बीके झा ने कहा कि ग्रामीण स्तर पर एफपीओ का गठन भारत सरकार की महत्वकांक्षी कार्यक्रम है। इसकी कार्यान्वित एजेंसी नाबार्ड है। राज्य में नाबार्ड, एसएफएसी, एनसीडीसी एवं जेएसएलपीएस के माध्यम से 300 एफपीओ कार्यरत है। इनमें कुल 200 एफपीओ सीधे नाबार्ड से संचालित है।
बीएयू द्वारा भी रांची जिले के कांके, नामकुम, मांडर, एवं लापुंग में अमरुद आधारित और गुमला जिले के भरनो में हरी मिर्च आधारित कुल 5 एफपीओ स्थापित किया गया है। इस प्रशिक्षण में एफपीओ को इनपुट सप्लाई सिस्टम, कृषि उत्पादों का संग्रहण, मूल्यवर्धन एवं प्रसंस्करण तथा मार्केटिंग विषयों की जानकारी दी जायेगी। कार्यक्रम का संचालन डॉ विनय कुमार एवं धन्यवाद डॉ एचसी लाल ने किया।
प्रतिभागियों को पहले दिन मृदा वैज्ञानिक डॉ प्रभाकर महापात्र ने मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन, मृदा जांच, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, खाद एवं उर्वरक से सबंधित जानकारी दी। प्लांट ब्रीडर डॉ सीएस महतो ने फसलोत्पादन में बीज का महत्व, उन्नत बीज की महत्ता एवं बीज प्रोद्योगिकी की विस्तृत जानकारी दी।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में राज्य के 17 जिलों में कार्यरत किसान उत्पादक संगठन से जुड़े कुल 45 मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी (सीईओ) एवं निदेशक मंडल (बीओडी) भाग ले रहे हैं।
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