बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में राज्य में कास्ट ऑफ कल्टीवेशन योजना के तहत आयोजित तीन दिवसीय पहला प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन शुक्रवार को हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि भारत सरकार के अपर आर्थिक सलाहकार विनोद जी तलाशी ने कहा कि कोम्प्रीहेंसिव स्कीम फॉर प्रिन्सिपल क्रॉप्स इन इंडिया नामक मेगा प्रोजेक्ट कृषि एवं किसान मंत्रालय की महत्वाकांक्षी योजना है। इसमें किसानों की खेती लागत एवं आमदनी का अध्ययन किया जाता है। किसानों की आमदनी बढ़ाने में यह योजना काफी सहायक साबित हो रही है।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए डीन एग्रीकल्चर डॉ एसके पाल ने कहा कि इस योजना के माध्यम से भारत सरकार द्वारा बिरसा कृषि विश्वविद्यालय को महत्वपूर्ण दायित्व मिला है। योजना अधीन प्रशिक्षित नव नियुक्त टीम सफलतापूर्वक अपने दायित्व का निर्वहन करने में सफल होगी।
एक हजार से अधिक लोग जुड़े
मौके पर सहायक आर्थिक सलाहकार राजेन्द्र थपलीयाल ने कहा कि इस योजना के तहत राष्ट्रीय स्तर पर पूरे देश में एक हजार से अधिक कार्यबल जुड़ा हुआ है, जो किसानों से जुड़कर किसानों के हित में किसानों की सेवा कर रहा है।
इन केंद्रों में लागू किया जाएगा
स्वागत करते हुए योजना के नोडल पदाधिकारी डॉ बीके झा ने प्रशिक्षण कार्यक्रम की गुणवत्ता एवं सफल संचालन पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने भारत सरकार के प्रतिनिधियों और डॉ राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय (पूसा, बिहार) के प्रशिक्षकों का आभार जताया। उन्होंने बताया कि पहली दिसंबर से इस मेगा प्रोजेक्ट का कार्य राज्य में स्थापित 15 केंद्रों में शुरू होगा। इसमें कोडरमा, करमाटाँर, बरही, हजारीबाग सदर, सरैयाहाट, मांडू, पोरैयाहाट, चान्हो, भंडरा, चंदवा, गढ़वा, खूंटी, हरिहरगंज, भरनो एवं पटमदा में शामिल हैं।
प्रशिक्षण कार्यक्रम को सफल बनाने में विवि के डॉ के लकड़ा, डॉ नेहा केशरी, डॉ सुरवि सिन्हा, डॉ नीतू कुमारी एवं डॉ शिवम् मिश्रा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कार्यक्रम का संचालन सुश्री शशि एवं धन्यवाद डॉ सुरवि सिन्हा ने किया।
प्रतिभागियों को फील्ड में प्रशिक्षण मिला
योजना की झारखण्ड कार्यान्वयन एजेंसी-बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में नव नियुक्त कर्मियों को योजना अधीन मांडू केंद्र का गुरुवार को भ्रमण कराया गया। मौके पर भारत सरकार के प्रतिनिधियों और डॉ राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के प्रशिक्षकों ने फील्ड स्तर पर डाटा संग्रहण की व्यावहारिक विषयों और बारीकियों की जानकारी दी।
बताते चले कि कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह की पहल, दो वर्षो तक लगातार प्रयास एवं कठिन परिश्रम से यह मेगा प्रोजेक्ट झारखंड में लॉन्च हुई है। इसे झारखंड गठन के साथ ही राज्य में लागू होना था।
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