बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के अनुवांशिकी एवं पौधा प्रजनन विभाग अधीन कार्यरत इंडियन सोसाइटी ऑफ़ जेनेटिक्स एंड प्लांट ब्रीडिंग, रांची चैप्टर ने शुक्रवार को अतिथि व्याख्यान का आयोजन एवं पेंटिंग एवं निबंध प्रतियोगिता विजेताओं को पुरुस्कृत किया। मौके पर आईसीएआर – भारतीय कृषि जैव प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईएबी), रांची के निदेशक डॉ अरुनव पटनायक ने फसल प्रजनन में जीनोम प्रयासों का प्रयोग विषय पर अतिथि व्याख्यान प्रस्तुत किया। डॉ पटनायक ने कृषि में जीनोमिक्स और प्रजनन नवाचार में सहभागिता और ब्रीडिंग इनोवेशन के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा कि भारतीय कृषि की सफलता में विज्ञान और नीतिगत हस्तक्षेपों का विशेष महत्त्व है। जीनोमिक्स और फसल प्रजनन नवाचार का देश के कृषि विकास में उल्लेखनीय योगदान रहा है। फसल सुधार में जीनोम को एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
खाद्यान जरुरत के लिए कृषि वैज्ञानिकों तत्पर रहे : डॉ ओंकार नाथ सिंह : सोसाइटी के अध्यक्ष एवं बीएयू कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने कहा कि प्रो मेंडल ने 200 वर्ष पहले अनुवांशिकी विज्ञान को वैश्विक पहचान दी, जो आज काफी विकसित हो चुका है। आजादी के समय देश में खाद्यान का आयात किया जाता था। कृषि वैज्ञानिकों के फसल सुधार कार्यक्रमों से देश आज खाद्यान मामले में आत्मनिर्भर और दुसरे देशों को निर्यात करता है। कृषि वैज्ञानिकों के योगदान को खेतों में देखा जा सकता है। मौके पर डीन एग्रीकल्चर डॉ एसके पाल तथा सोसाइटी के पूर्व सचिव डॉ जेडए हैदर ने सोसाइटी के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम के दौरान सोसाइटी द्वारा प्रसिद्ध अनुवांशिकी प्रो मेंडल के 200 वीं वर्षगाठ पर आयोजित पेंटिंग एवं निबंध प्रतियोगिता के विजेताओ की घोषणा की गयी।
मौके पर कृषि स्नातक, स्नातकोत्तर एवं पीएचडी छात्रों के लिए आयोजित निबंध प्रतियोगिता के विजेताओं को भी पुरुस्कृत किया गया। पेंटिग प्रतियोगिता के जज कृष्णा कुमार प्रसाद एवं तारकेश्वर पटेल को भी उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया।
सोसाइटी के सचिव एवं अनुवांशिकी एवं पौधा प्रजनन विभाग के अध्यक्ष डॉ सोहन राम ने स्वागत भाषण में सोसाइटी की गतिविधियों पर प्रकाश डाला। समारोह का संचालन डॉ नीरज कुमार तथा धन्यवाद डॉ नूतन वर्मा ने दी। मौके पर डॉ डीके शाही, डॉ पीके सिंह, डॉ मनिगोप्पा चक्रवर्ती, डॉ मधुपर्ना बनर्जी, डॉ कृष्णा प्रसाद, डॉ सीएस महतो, एचएन दास सहित कृषि संकाय के स्नातक, स्नातकोत्तर एवं पीएचडी छात्र-छात्राएं भी मौजूद थे।
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