मशरूम उच्च पोषक पदार्थ से युक्त और स्वास्थ्य सुधार में बेहद उपयोगी भोज्य खाद्य साबित हो रहा है. शाकाहारी लोगों के बीच मशरूम सेवन का प्रचालन तेजी से बढ़ा है. शहर के साथ-साथ गांवों में भी मशरूम की सालों भर बेहद मांग है. राज्य के अनेकों किसानों ने कृषि क्षेत्र में मशरूम की व्यावसायिक खेती को अपनाकर सम्पन्नता हासिल की है. इसे घरेलु उद्यम के रूप में अपनाकर महिलाएं पारिवारिक आय में बढ़ोतरी और पोषण सुरक्षा प्रदान कर सकती है. उक्त बातें कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने कही. वे बटन मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण उपरांत प्रमाण-पत्र वितरण समारोह में बोल रहे थे. बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि संकाय अधीन कार्यरत पौधा रोग विभाग के मशरूम उत्पादन यूनिट द्वारा अक्टूबर से दिसंबर में 28 दिवसीय तीन प्रशिक्षण कार्यक्रम हुए.
मौके पर प्रशिक्षाणार्थियों में शंकर साहू, ज्योति सिंह एवं स्वाति झा ने 28 दिवसीय व्यावहारिक प्रशिक्षण कार्यक्रम के अनुभवों को साझा किया. शंकर साहू ने यूट्यूब से प्रेरणा लेकर प्रशिक्षण में भाग लिया. प्रशिक्षण दौरान ही अपने रातू गांव में 50 क्विंटल खाद का निर्माण एवं विवि से मशरूम बीज (स्पॉन) खरीदकर बिजाई कर व्यावसायिक तरीके से बटन मशरूम की खेती की शुरुआत की है.
एनजीओ प्रतिनिधि ज्योति सिंह ने इस कार्यक्रम उपरांत अधिकाधिक महिलाओं को प्रशिक्षण देकर महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने की बात कही. रांची विश्वविद्यालय के बॉटनी विभाग की छात्रा ने प्रशिक्षण एवं शोध कार्य के उद्देश्य से कार्यक्रम में भाग लेने की बात कही.
अक्टूबर से दिसंबर माह तक आयोजित 28 दिवसीय तीन प्रशिक्षण कार्यक्रमों में रांची, रामगढ, सिमडेगा, सरायकेला, पाकुड़, हजारीबाग, गढ़वा, देवघर, चतरा, बोकारो एवं पूर्वी सिंहभूम जिले के 34 लोगों ने भाग लिया. मौके पर सभी प्रशिक्षाणार्थियों को कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह, डीन एग्रीकल्चर डॉ एसके पाल एवं मशरूम यूनिट प्रभारी डॉ नरेंद्र कुदादा द्वारा प्रशिक्षण प्रमाण-पत्र प्रदान किया गया.
स्वागत भाषण में मशरूम प्रोडक्शन यूनिट प्रभारी डॉ नरेंद्र कुदादा ने बटन मशरूम उत्पादन का महत्त्व एवं 28 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रमों की विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने कहा कि मशरूम की खेती में मात्र 75 रुपये की लागत से 200-250 रुपये तक शुद्ध लाभ प्राप्त किया जा सकता है.
समारोह का संचालन रेडियो हरियाली समन्यवयक शशि सिंह और धन्यवाद डॉ एचसी लाल ने किया. प्रशिक्षण कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में मुनि प्रसाद एवं विकास कुमार ने उल्लेखनीय सहयोग दिया. मौके पर डॉ सबिता एक्का, एचएन दास एवं धर्मेन्द्र रावल भी मौजूद थे.
The post मशरूम को घरेलु उद्यम के रूप में अपनाकर महिलाएं बढ़ा सकती है पारिवारिक आय: डॉ ओंकार नाथ सिंह appeared first on Birsa Agricultural University.