बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के निदेशालय प्रसार शिक्षा के द्वारा शुक्रवार को मधुमक्खी पालन एवं मधु प्रसंस्करण विषय पर पांच दिवसीय मास्टर ट्रेनर प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में भारतीय लोक कल्याण संस्थान, रांची द्वारा चयनित जामताड़ा एवं पश्चिमी सिंहभूम के कुल 25 किसानों ने भाग लिया।
कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए मुख्य अतिथि निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ जगरनाथ उरांव ने कहा कि प्रदेश में मधुमक्खी पालन में जीविकोपार्जन के काफी अवसर है। राज्य में परंपरागत तरीके से इसके उपयुक्त संसाधन आसानी से मौजूद है। वैज्ञानिक प्रबंधन से इसे व्यवसाय का स्वरूप देकर ग्रामीण क्षेत्रों आजीविका के नए अवसरों का सृजन संभव है। सभी प्रतिभागियों की प्रदेश में मीठी क्रांति को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
इस अवसर पर अपर निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ केएस रिसम ने मधुमख्खी पालन को कृषि कार्यो के साथ अतिरिक्त अधिक आमदनी एवं ग्रामीण स्तर पर स्वरोजगार का बेहतर साधन बताया।
स्वागत भाषण में भारतीय लोक कल्याण संस्थान के परियोजना प्रबंधक संजय कुमार सिंह ने कहा कि इस कार्यक्रम के माध्यम से सभी प्रतिभागियों को मधुमक्खी पालन में ट्रेनिंग लेकर मास्टर ट्रेनर के रूप में दायित्व निभाना है। सभी प्रतिभागियों पर राज्य के कुल 250 किसानों को मधुमक्खी पालन एवं मधु प्रसंस्करण विषय पर प्रशिक्षित किया जाना है।
भारतीय लोक कल्याण संस्थान के पर्यवेक्षक चंदेश्वर ओझा ने बताया कि इस कार्यक्रम को एससीए से टीएसएस योजना अधीन झारखण्ड ट्राइबल डेवलपमेंट सोसाइटी, रांची के सौजन्य से भारतीय लोक कल्याण संस्थान द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है।
प्रशिक्षण के दौरान कीट वैज्ञानिक डॉ बिनय कुमार ने झारखण्ड में मधुमक्खी पालन की स्थिति एवं संभावना की विस्तृत जानकारी दी। मधुमख्खी पालन से जुड़े उद्यमी एदलहातु के अशोक कुमार ने अपने अनुभवों को साझा किया। कार्यक्रम का संचालन संजय कुमार सिंह तथा धन्यवाद चंदेश्वर ओझा ने दी। मौके पर निर्मल कुमार, राजेश कुमार सिंह एवं प्रवीन तरुण एक्का भी मौजूद थे।
The post मधुमक्खी पालन में जीविकोपार्जन के काफी अवसर : डॉ जगरनाथ उरांव appeared first on Birsa Agricultural University.