बीएयू में ग्रीन हाउस ऑपरेटर का कौशल विकास कार्यक्रम –
रांची। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ परविन्दर कौशल ने कहा कि न्यूनतम लागत और उपादान से अधिकतम उत्पादन लेने की तकनीक इजराइल से सीखने की जरुरत है। वहां पानी की बेहद कमी है। फिर भी संरक्षित कृषि के कारण उत्पादकता सर्वाधिक है। डॉ कौशल 15 जनवरी को बीएयू के कृषि अभियंत्रण विभाग में सुनियोजित कृषि पद्धति विकास केंद्र (पीएफडीसी) द्वारा ग्रीन हाउस ऑपरेटर तैयार करने के लिए आयोजित कौशल विकास कार्यक्रम में बोल रहे थे। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय कौशल विकास निगम के कृषि कौशल विकास परिषद्, गुडगांव द्वारा प्रायोजित है।
कई गुना कमा सकते हैं
कुलपति ने कहा कि झारखंड की मिट्टी और आबोहवा सालों भर सब्जी एवं फूल उत्पादन के लिए उपयुक्त है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य नियंत्रित बागवानी के क्षेत्र में उद्यमी तैयार करना है। ग्रीन हाउस और नेट हाउस में खेती द्वारा उत्पादन कई गुना बढ़ा सकते हैं। ऐसे हाउस के निर्माण के लिए 50 प्रतिशत तक अनुदान मिलता है। उसके संचालन, रखरखाव और मरम्मति के लिए सरकार से कोई मदद नही मिलती है। इसलिए जो लोग इस कौशल से युक्त होंगे वो ज्यादा लाभ कमा सकेंगे।
मौसम की मार का असर नहीं
कृषि अधिष्ठाता डॉ राघव ठाकुर ने कहा कि ग्रीन हाउस-नेट हाउस में खेती से मौसम की मार का असर फसल पर नहीं होगा। रोग एवं कीड़े कम लगेंगे। उत्पाद ज्यादा गुणवत्तायुक्त होगा। निदेशक अनुसंधान डॉ डीएन सिंह ने कहा कि ऐसे कौशल विकास कार्यक्रम से सालों भर रोजगार मिलेगा। ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन रुकेगा। संरक्षित कृषि द्वारा साल में 4 से 5 फसल ली जा सकती है। उन्होंने कहा कि सालों भर फूल और सब्जी उत्पादन के लिए देश के 29 राज्यों में सर्वाधिक उपयुक्त जलवायु झारखंड की है। कृषि अभियंत्रण विभाग के अध्यक्ष डीके रुसिया ने कहा कि देश के 22 कृषि विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों में ग्रीन हाउस ऑपरेटर का एक माह का कौशल विकास कार्यक्रम आयोजित किया जाना है। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना के बाद बिरसा कृषि विश्वविद्यालय दूसरा संस्थान है, जिसने यह कार्यक्रम शुरू किया है।
विस्तार से जानकारी दी जाएगी
पीएफडीसी परियोजना के प्रधान अन्वेशक डॉ मिंटू जॉब ने कहा कि प्रशिक्षाणार्थियों को विभिन्न प्रकार के ग्रीन हाउस, नेट हाउस और शेड हाउस के निर्माण, रख-रखाव और मरम्मत के साथ नियंत्रित परिस्थितियों में विभिन्न प्रकार की सब्जियों एवं फूलों की खेती की विस्तृत जानकारी दी जाएगी I प्रतिभागियों द्वारा अर्जित ज्ञान एवं कौशल का मूल्यांकन कौशल परिषद् के अधिकारी अंतिम सप्ताह में करेंगे। कार्यक्रम में रांची, गुमला, लोहरदगा, लातेहार, पलामू, पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला-खरसावां, गिरिडीह एवं वाराणसी के कुल 30 किसान एवं उद्यमी भाग ले रहे है I प्रशिक्षण13 फरवरी तक चलेगा।