बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में चलाए जा रहे विभिन्न अनुसंधान प्रक्षेत्रों का कुलपति ने कृषि वैज्ञानिको के दल के साथ गुरुवार को भ्रमण किया। उन्होंने मकई, मूंगफली, रागी, सोयाबीन, उरद, मूंग, ज्वार, बाजरा आदि फसलों और उनकी समस्याओं पर आधारित अनुसन्धान प्रक्षेत्रों का अवलोकन कर समीक्षा की। ये फसल अनुवांशिकी एवं पौधा प्रजनन विभाग, मृदा विज्ञान एवं कृषि रसायन विभाग, शस्य विभाग, कीट विज्ञान विभाग एवं पौधा रोग विभाग द्वारा लगाए गए हैं। विभिन्न फसलों में चालु खरीफ मौसम में विश्वविद्यालय की खेती योग्य सभी भूमि में फसलों का अच्छादन किया गया है। सही समय पर फसलों की बोआई और समुचित फसल प्रबंधन के फलस्वरुप खेतों में सभी फसलों की स्थिति बेहतर पायी गयी।
मृदा विभाग द्वारा दशकों से चलाएं जा रहे दीर्घकालीन उर्वरक प्रबंधन और स्थाई खाद प्रबंधन प्रक्षेत्रों में फार्म यार्ड खाद एवं लाइम के प्रयोग से बेहतर फसल प्रदर्शन की तकनीक से किसानों को अवगत कराने पर जोर दिया गया। इस वर्ष विश्वविद्यालय की सभी योग्य भूमि में फसलोत्पादन के आलावा बीजोत्पादन पर जोर दिया जा रहा है, जिसे देखते हुए कुलपति ने निदेशक अनुसन्धान और निदेशक प्रसार को किसानों को लाइव कृषि तकनीकी प्रदर्शन से अवगत कराने के लिए चालु मौसम में अविलम्ब प्रक्षेत्र दिवस पखवाड़ा आयोजित करने का निर्देश दिया। उन्होंने इस कार्यक्रम में जिला स्तर के कृषि विज्ञान केन्द्रों और आत्मा संस्थानों के माध्यम से राज्य के सभी जिलो के किसानों की भागीदारी सुनिश्चित करने को कहाI
कुलपति डॉ परविंदर कौशल ने विभिन्न विषयों पर आधारित अनुसन्धान गतिविधियों में वैज्ञानिकों के बीच बेहतर तालमेल और समन्वय कायम करने, अनुसन्धान के अनुभवों को एक-दूसरे से साझा करने एवं परामर्श लेने के साथ–साथ क्वालिटी शोध करने पर जोर दियाI उन्होंने प्रक्षेत्र शोध कार्यो में पीजी छात्रों को जोड़ने का निर्देश दिया, ताकि छात्रों द्वारा विकसित तकनीक भी किसानों तक पहुंच सकेI कृषि स्नातक छात्रों को सभी प्रक्षेत्रों का नियमित भ्रमण कराने और सभी विभागों के अध्यक्ष को प्रत्येक सप्ताह विभागीय प्रक्षेत्र का निरीक्षण कर वैज्ञानिकों को उचित परामर्श और जरूरी सुविधा उपलब्ध करने को कहा। डॉ कौशल ने वैज्ञानिकों को अगामी फसलों का फसल-क्रम आधारित शोध करने और इसके अनुसार किसानों के लिए खरीफ एवं रबी फसलो के बेहतर प्रभेदों की अनुशंसा करने को कहा।
इस भ्रमण में निदेशक अनुसन्धान डॉ डीएन सिंह, निदेशक प्रसार डॉ जे ऊरांव, अपर निदेशक अनुसन्धान डॉ सुशील प्रसाद के अलावा डॉ जेडए हैदर, डॉ एमएस मल्लिक, डॉ आरआर उपासनी, डॉ डीके शाही, डॉ बीके अग्रवाल, डॉ राकेश कुमार, डॉ एस कर्मकार, डॉ मनिगोप्पा चक्रवर्ती, डॉ कृष्णा प्रसाद, डॉ अरविन्द कुमार, डॉ नीरज कुमार, डॉ एचसी लाल, डॉ आशा सिन्हा, डॉ सीएस महतो, डॉ शीला बारला, प्रो भूपेन्द्र कुमार, डॉ सीएस सिंह सहित विभिन्न विभागों के वैज्ञानिकों ने भाग लिया।