रांची I बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के नवनियुक्त कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने आज पदभार ग्रहण कर लिया I उन्होंने बीएयू परिसर स्थित बिरसा भगवान और कार्तिक उरांव की प्रतिमा पर पुष्पार्पण करने के बाद प्रबंध पर्षद कक्ष में विश्वविद्यालय के वरीय पदाधिकारियों को संबोधित किया और उनसे संस्था के ज्वलंत मुद्दों की जानकारी प्राप्त की I विश्वविद्यालय में पिछले 9 जुलाई, 2019 से कोई नियमित कुलपति नहीं था I
उन्होंने विश्वविद्यालय के अधिष्ठाताओं और निदेशकों से कहा कि वे अपने सहकर्मियों से परामर्श कर अपने-अपने संकाय और निदेशालयों की गतिविधियों, उपलब्धियों, समस्याओं और भावी योजनाओं का पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन तैयार करें और पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार अगले 7 से 10 दिनों में उसकी प्रस्तुति करें I समयबद्धता, अनुशासन और उत्पादन पर उनका विशेष जोर रहेगा I शिक्षकों के सातवें वेतनमान, करियर एडवांसमेंट स्कीम, शिक्षकों के रिक्त पदों पर नियुक्ति, संविदा पर शिक्षकों की नियुक्ति एवं सेवा विस्तार, नवस्थापित कॉलेजों की समस्याओं तथा शिक्षकेतर कर्मियों के एसीपी/ एमएसीपी जैसे मुद्दों को वे विश्वविद्यालय के वरीय पदाधिकारियों, राज्य सरकार तथा राज्यपाल सचिवालय के सहयोग से शीघ्र निबटाने का प्रयास करेंगे I सुबह 7 बजे से रात 10 बजे तक वे संस्थागत कार्यों के लिए उपलब्ध रहेंगे I
मूलतः भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के मुख्य वैज्ञानिक डॉ सिंह पिछले दो वर्षों से प्रतिनियुक्ति पर भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की संस्था इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी अपीलेट बोर्ड के पौधा किस्म संरक्षण अपीलीय न्यायाधिकरण, चेन्नई में तकनीकी सदस्य के रुप में कार्यरत थे I इसके पूर्व वे भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक में प्रभारी निदेशक, फसल सुधार विभाग के प्रमुख, मुख्य वैज्ञानिक (पौधा प्रजनन), विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर), अल्मोड़ा (उत्तराखंड) में वरीय वैज्ञानिक, नरेन्द्रदेव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, फैजाबाद में सहायक प्राध्यापक और एसोसिएट प्रोफेसर, डॉ राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, समस्तीपुर (बिहार) में सहायक प्राध्यापक तथा बीएनवी पीजी कॉलेज, हमीरपुर (उप्र) में व्याख्याता के रूप में काम कर चुके हैं I ये वर्ष 2003 में सीधी भर्ती द्वारा आईसीएआर में मुख्य वैज्ञानिक पद पर नियुक्त हुए थे I
डॉ सिंह विभिन्न स्थानों पर कार्यरत रहने के दौरान चावल के 30 से अधिक उन्नत प्रभेदों के विकास में संलग्न रहे हैं और विशेषकर पानी की कमी वाले क्षेत्रों के लिए एरोबिक राइस विकसित किया I इन्होंने देशी-विदेशी संस्थानों द्वारा वित्त पोषित कई शोध परियोजनाओं का नेतृत्व किया तथा कई स्नातकोत्तर छात्र-छात्राओं के शोध मार्गदर्शक भी रहे I