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पांच दिवसीय ऑनलाइन ट्रेनिंग का समापन, 20 राज्‍यों के कृषि वै‍ज्ञानिकों ने लिया हिस्‍सा

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बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (रांची) एवं राष्ट्रीय कृषि प्रसार प्रबंधन संस्थान (मैनेज, हैदराबाद) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 5 दिवसीय ऑनलाइन ऑफ कैंपस ट्रेनिंग का समापन शनिवार को हुआ। इसमें देश के 20 राज्‍यों के वैज्ञानिकों ने हिस्‍सा लिया।

समापन समारोह के मुख्य अतिथि बीएयू कुलपति डॉ ओएन सिंह ने कहा कि हमारे समाज और अर्थव्यवस्था के लगभग सभी क्षेत्रों में आईसीटी के चमत्कार एवं इसके आवेदन में हमने बहुत प्रगति की है। विभिन्न प्रयोजनों में आईसीटी ने सूचना विनिमय को लेन-देन सेवाओं में स्थानांतरित कर दिया है। कार्यालय का काम स्वचालित और कम्प्यूटरीकृत हो रहा है। आधिकारिक संचार और वित्तीय लेनदेन ऑनलाइन किए जा रहे हैं। प्रणाली की दक्षता वृद्धि से समय की बचत हो रही है।

कुलपति ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालयों में वैज्ञानिक आईसीटी के क्षेत्र में उत्कृष्ट एवं सराहनीय काम को अंजाम दे रहे हैं। शिक्षकों और छात्रों के लिए इंटरनेट की सुविधा के लिए विश्वविद्यालय में वाई-फाई के साथ 12 किमी ओएफसी नेटवर्क है। आईएएसआरआई, नई दिल्ली के सहयोग से विश्वविद्यालयों द्वारा अकादमिक प्रबंधन प्रणाली (एएमएस) को लागू किया है। कृषि विस्तार शिक्षा के क्षेत्र में विश्वविद्यालय ने बहुभाषी प्रणाली विकसित किया है। कृषि, पशु चिकित्सा और वानिकी पर पोर्टल, मौसम पोर्टल और मोबाइल एप, इंटरएक्टिव वॉयस रिस्पांस सिस्टम, ई-बिरसा किसान डायरी और यूट्यूब पर बीएयू एक्सटेंशन चैनल चलाया जा रहा है।

विशिष्ट अतिथि कृषि डीन एग्रीकल्चर डॉ एमएस यादव ने कहा कि आईसीटी सामाजिक विकास में एक वेक्टर के रूप में कार्य करता है। यह बुनियादी सेवाओं तक पहुंच में सुधार, कनेक्टिविटी को बढ़ाने और रोजगार का सृजन अवसर प्रदान करता है। आईसीटी उद्यमशीलता को बढ़ावा और नए व्यापार मॉडल के विकास में उपयोगी साबित हो रहा है।

कृषि में ड्रोन और रोबोटिक्स जैसी तकनीकों के अनुप्रयोग से कृषि विस्तार के परिदृश्य को व्यापक बदलाव की संभावना है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में कृषि विस्तार में आईसीटी आवेदन के कौशल विकास से प्रशिक्षुओं की क्षमता में वृद्धि होगी। कृषि प्रसार में सीमांत आईसीटी उपकरणों का अनुप्रयोग केवल प्रौद्योगिकी डेवलपर्स, शोधकर्ताओं और विस्तार पेशेवरों के एकीकृत प्रयासों से संभव है।

निदेशक विस्तार शिक्षा डॉ जगरनाथ उरांव ने कहा कि आईसीटी माध्यम से परियोजनाओं के कार्यान्वयन में कृषि विश्वविद्यालय की अग्रणी भूमिका है। प्रत्येक केवीके ने किसानों का व्हाट्सएप समूह बनाया है। उन्हें आईटी आधारित सक्षम सेवाएं प्रदान कर रहा है। विश्वविद्यालय द्वारा विकसित सेवाओं के साथ किसान सामुदायिक रेडियो स्टेशन का परिचालन अंतिम चरण में है। उन्होंने वैज्ञानिकों और विस्तार कार्यक्रमों में ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम, पेशेवरों द्वारा आईसीटी को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता को प्रकट किया।

मैनेज, हैदराबाद के वरिष्ठ सहायक निदेशक भास्कर गुजजी ने स्वागत करते हुए ट्रेनिंग की महत्ता एवं अनुप्रयोग पर प्रकाश डाला। कहा कि मैनेज, हैदराबाद पूरे देश में कृषि प्रबंधन एवं क्षमता निर्माण कार्यक्रम के क्षेत्र में कार्यरत है। बीएयू, रांची के साथ मिलकर वर्षो से इस दिशा में अग्रणी बेहतर है। कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद प्रशिक्षण समन्वयक डॉ बीके झा ने किया।

ट्रेनिंग में डॉ अलोक कुमार पांडे, डॉ अरविन्द मिश्र, डॉ सरिता सिन्हा, डॉ रंजय कुमार सिंह, डॉ ललित दास, डॉ अनुरंजन, प्रदीप सरकार सहित असम, बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, झारखंड, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल से चयनित 98 प्रतिभागियों में से 79 प्रतिभागी प्रोग्राम के ऑनलाइन टेस्ट के लिए उपस्थित हुए। उन्हें ऑनलाइन प्रमाण पत्र दिया जाएगा। कार्यक्रम में झारखंड के 15 अधिकारियों को नामित किया गया था।

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