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कार्तिक उरांव को जल, जंगल, जमीन और किसानों से विशेष प्रेम था : आलमगीर आलम

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कार्तिक उरांव को जल, जंगल, जमीन और किसानों से विशेष प्रेम था : आलमगीर आलम

प्रसिद्ध टेक्नोक्रेट, शिक्षाविद, समाज सुधारक और पूर्व केंद्रीय मंत्री कार्तिक उरांव के जन्मदिवस की 97वीं वर्षगांठ पर शुक्रवार को बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। समारोह के मुख्य अतिथि ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि बाबा कार्तिक उरांव को जल, जंगल, जमीन और किसानों से विशेष प्रेम था। इसलिए देश-दुनिया से इंजीनियरिंग की बड़ी-बड़ी डिग्री प्राप्त करने के बावजूद उन्होंने झारखंड में नए इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना के बजाय कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना को प्राथमिकता दी।

मंत्री ने कहा कि संयुक्त बिहार समय के छोटानागपुर और संथाल परगना क्षेत्र (आज के झारखंड) के लिए चार दशक पूर्व अलग बिरसा कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना उन्हीं के प्रयासों का सुफल है। यहां से प्रतिवर्ष सैकड़ों की संख्या में निकलने वाले तकनीकी स्नातक अपने शोध, शिक्षण, प्रशासनिक क्षमता और तकनीकी ज्ञान से झारखंड का नाम रोशन करें, ताकि स्वर्गीय कार्तिक उरांव का सपना पूरा हो। अपने लिए और परिवार के लिए सभी जीते हैं, किंतु जो लोग देश और समाज के लिए कुछ करने का संकल्प लेते हैं, उन्हें ही भावी पीढ़ी याद रखती है।

कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि, स्व कार्तिक उरांव की पुत्री और पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री गीताश्री उरांव ने कहा कि बीएयू में शिक्षकों और अन्य कर्मियों की बहुत कमी है, नियुक्तियां शीघ्र हो जाएं तो यहां के शिक्षण की गुणवत्ता में और वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि बाबा की चाहत थी कि यहां के किसान वैज्ञानिक सोच के साथ आगे बढ़ें। गीताश्री उरांव ने कहा कि भाई-बहनों में सबसे छोटी होने के कारण उन्हें कार्तिक बाबा का सर्वाधिक लाड़-प्यार मिला। राजनीतिक व्यस्तता के बीच उन्हें जब भी फुर्सत मिलती, वह बच्चों के साथ क्वालिटी समय बिताते। आपसी छोटे-छोटे झगड़े दूर करते, होमवर्क करवाते, बाजार ले जाकर किताबें खरीदवाते। उन्हें पढ़ने का बहुत शौक था। इसलिए इंग्लैंड में पढ़ाई के दौरान एक दिन देर रात तक लाइब्रेरी में बैठे रह गए और बाहर से गेटमैन ताला लगा कर चला गया। अगले दिन उन्हें कोई अफसोस नहीं था, बल्कि उन्होंने कहा कि रात भर पढ़ने में उपयोग कर लिया। ऐसे अवसर बहुत कम मिलते हैं।

अपने अध्यक्षीय संबोधन में बीएयू के कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने कहा के शिक्षकों की कमी के बावजूद यहां के विद्यार्थी बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। इस वर्ष कृषि वैज्ञानिक भर्ती बोर्ड, नई दिल्ली द्वारा आयोजित परीक्षा में बीएयू के 31 छात्र छात्राओं ने नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट (नेट) की परीक्षा पास की। इस वर्ष 230 स्नातकों को डिग्री प्रदान की गई। डेयरी टेक्नोलॉजी और फिशरीज विज्ञान में पहली बार यहां से स्नातक निकले। अगले साल से बागवानी और कृषि अभियंत्रण में भी स्नातकों का बैच निकलेगा। यदि शिक्षकों के रिक्त पद भर दिये जाएं और कुछ आधारभूत सुविधाएं बढ़ जाएं तो बीएयू देश के सर्वश्रेष्ठ कृषि विश्वविद्यालय के रूप में भी उभर सकता है।

कृषि अधिष्ठाता डॉ एमएस यादव ने कहा कि बीएयू की स्थापना में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करनेवाले कार्तिक उरांव का केवल 57 वर्ष की आयु में देहांत हो गया। यदि वह कुछ वर्ष और जीवित रह जाते तो बीएयू का नक्शा अलग ही होता। स्वागत करते हुए छात्र कल्याण निदेशक डॉ डीके शाही ने कार्तिक उरांव के शैक्षणिक, प्रशासनिक और राजनीतिक उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। कहा कि कार्तिक बाबा के आदर्शों पर चलकर ही जनजातीय संस्कृति और परंपरा को सुरक्षित रखा जा सकता है।

ग्रामीण विकास मंत्री तथा गीताश्री उरांव ने इस अवसर पर साहिबगंज जिला के बड़हरवा प्रखंड के इस्लामपुर गांव के 5 किसानों-अहियाउल इस्लाम, बारुल हक, अब्दुल नाइयार शेख, निजाम शेख, अदूद शेख तथा पतना गांव के हरेंद्र कुमार को कृषि के क्षेत्र में उनके विशिष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया। उन्हें बिरसा भाभा मस्टर्ड 1 प्रभेद का सरसों बीज, उन्नत प्रभेद का तीसी बीज, वर्मीकंपोस्ट तथा शॉल प्रदान किया गया।

प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ जगरनाथ उरांव ने धन्यवाद किया। कार्यक्रम का संचालन शशि सिंह ने किया। इस अवसर पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता शशिभूषण राय भी उपस्थित थे।

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