किसान परिवार से हूँ। किसानों की परेशानी एवं आशाओं से पूरी तरह वाकिफ हूँ। आज भले ही किसानों के लिए खेती अलाभकारी हों। बढ़ती आबादी और घटती खेती की जमीन सरकारों के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है। आने वाले कल में जिनके पास खेती वाली जमीन होगीं, वहीं सबसे अमीर आदमी होगा। भविष्य के भारत में खेती-किसानी सबसे लाभकारी व्यवसाय होगी
भारत देश तेजी से विकास कर रहा है. पहले की दुनिया भले ही मेड इन जापान व अभी मेड इन चाइना हो. लेकिन तकनीकी के बल पर विश्व का भविष्य मेड इन इंडिया होगी. उक्त विचार बतौर मुख्य अतिथि राज्यपाल सह विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति रमेश बैस ने कही। वे बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित 42 वें स्थापना दिवस समारोह में उक्त विचार रखे।
राज्यपाल ने कहा कि राज्य के विश्वविद्यालयों में शिक्षकों एवं कर्मचारियों की कमी बेहद चिंता का विषय है। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय किसानों का तीर्थ स्थल है। इसकी पहचान किसानों के सामर्थ्य एवं विकास से जुडा है। कृषि वैज्ञानिकों को किसानों के खेतों में जाकर समस्याओं का निदान करनी चाहिए।
विश्वविद्यालय ने राज्य को तकनीकी मानव बल दिये, किसानों के हित में फसल सुधार से फसल उत्पादन एवं उत्पादकता को बढ़ावा दिया तथा प्रसार कार्यक्रमों से कृषि विकास में उल्लेखनीय योगदान दिया. विश्वविद्यालय में पिछले 4-5 वर्षो में कृषि, उद्यान, दुग्ध प्रौद्योगिकी, मत्स्य विज्ञान एवं कृषि अभियांत्रिकी विषयों में 7 नये महाविद्यालय खोले गये।
इन विगत वर्षो में विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों की संख्या में चार गुणी से अधिक बढ़ोतरी हुई है. राज्य के इस एक मात्र कृषि विश्वविद्यालय में राज्य हित में व्यापक संभावनाएँ निहित है. इस विश्वविद्यालय में शिक्षकों एवं कर्मचारियों की कमी है. नये महाविद्यालयों में संसाधन की भारी कमी है. इस दिशा में बेहतर कोशिश एवं ठोस पहल करनी होगी।
इस अवसर पर राज्यपाल ने विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित वार्षिक प्रतिवेदन 2021-22 व किसानों की पंचायतनामा पुस्तक एवं पठारी कृषि पत्रिका का विमोचन किया. झारखण्ड लोक सेवा आयोग द्वारा सहायक प्राध्यापक के 10 पदों पर अनुशंसित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र प्रदान किये. कृषि अभियांत्रिकी में बेहतर कार्य हेतु दो वैज्ञानिकों, सेवानिवृत्त दो शिक्षकों व तीन कर्मचारियों को सम्मानित तथा निबंध प्रतियोगिता में विजयी विद्यार्थी एवं कर्मचारियों को पुरूस्कार प्रदान किये।
उन्होंने राज्य के 5 किसानों 9 फसलों के उन्नत फसल बीज तथा 15 किलो उन्नत धान बीज का पैकेट बाँटा.
मौके पर विशिष्ट अतिथि पूर्व कुलपति, बीएयू ने विगत वर्षो में विश्वविद्यालय की शिक्षा, शोध एवं प्रसार के क्षेत्र में उपलब्धियों की प्रशंसा की. कृषि वैज्ञानिकों को लैब एवं क्लास रूम से निकलकर किसानों से जुड़ने एवं खेतों में समस्या निदान की बात कही. विद्यार्थियों को देश हित में कृषि क्षेत्र में बेहतर कार्य हेतु संकल्पित होने को कहा।
इस अवसर पर कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने विश्वविद्यालय को अग्रणी बनाये रखने की दिशा में कुलाधिपति के मार्गदर्शन के प्रति आभार जताया. उनके द्वारा फूल, सब्जी एवं पशुधन सबंधी क्षेत्र को बढ़ावा देने के सुझावों पर किये गये पहल की चर्चा की. वर्ष 2021-22 में विश्वविद्यालय की कृषि शिक्षा, शोध एवं प्रसार की महत्वपूर्ण उपलब्धियों पर प्रकाश डाला।
शिक्षकों/वैज्ञानिकों के कैश प्रमोशन तथा कर्मचारियों की एमएसीपी प्रमोशन व सेवानिवृत्ति आयु में बढ़ोतरी की समस्याओ को संज्ञान में लाया. स्वागत डीन एग्रीकल्चर डॉ एसके पाल तथा धन्यवाद डायरेक्टर एक्सटेंशन डॉ जगरनाथ उराँव ने दी। मंच का संचालन हरियाली रडियो की समन्यवयक शशि सिंह ने की. मौके पर भारी संख्या में विश्वविद्यालय के पदाधिकारी, शिक्षक, वैज्ञानिक, किसान, कर्मचारी, विद्यार्थी एवं आकस्मिक कर्मचारी मौजूद थे।
कृषि अभियांत्रिकी में बेहतर कार्य हेतु सम्मानित वैज्ञानिक : ई डीके रुसिया एवं डॉ उत्तम कुमार
सम्मानित सेवानिवृत्त शिक्षक : डॉ एनसी दास एवं डॉ एससी प्रसाद
सम्मानित सेवानिवृत्त कर्मचारी : एसएन दास, दमरी राम एवं पंचू महतो
निबंध प्रतियोगिता में विजयी:
कर्मचारी वर्ग में प्रथम अमित कुमार झा, द्वितीय अमरेन्द्र कुमार वर्मा तथा तृतीय आलोक कुमार झा एवं संतावना भारती कुमारी
विद्यार्थी वर्ग में प्रथम प्रियांशी प्रज्ञा, द्वितीय (संयुक्त) सुशील कुमार मिश्र व श्रेया आनंद तथा तृतीय संबुल फैज़ानी
सम्मानित किसान : प्रिंस कुमार मेहता (पलामू), देवधन हांसदा (दुमका), ललिता महतो (पूर्वी सिंहभूम), सुखराम मुंडा (उलीहातू, खूँटी) तथा गोलगा मुंडा (उलीहातू, खूँटी)
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