बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में मंगलवार को डॉ अम्बेडकर का 67 वाँ महापरिनिर्वार्ण दिवस मनाया गया। मौके पर मौजूद सभी लोगों ने कुलपति के नेतृत्व में बाबासाहेब के आदम चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रध्दा सुमन अर्पित किये। समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने कहा कि डॉ भीमराव अम्बेडकर ने हमें पहले और अंततः भारतीय होने की सीख दी। उन्होंने भारतीय समाज के सामने अपनी बातों को स्पष्ट तरीके से रखा, अपनी विचारों पर अडिग रहें, जीवन-भर संघर्ष किया और पुरे देश को भारतीय संविधान की अनुपम भेंट दी। वे भारतीय समाज के एक ऐसे महामानव थे, जिन्होंने जीवनभर अनुशासन कभी नहीं तोड़ा। अनुशासन को जीवन में सर्वोपरि माना और जीवनपर्यंत अनुशासन प्रिय रहें।
आज के बच्चों एवं छात्रों को डॉ अम्बेडकर के विचारों से प्रेरणा लेने और जीवन में सफल होने के लिए उनके समान अनुशासन प्रिय होना जरुरी है। विशिष्ट अतिथि डीन एग्रीकल्चर डॉ एसके पाल ने डॉ भीमराव अम्बेडकर द्वारा भारतीय महिलाओं के अधिकारों एवं सुरक्षा के लिए कठिन संघर्ष पर चर्चा की। भारतीय संस्थानों की सेवा और शिक्षण संस्थानों में अधिकाधिक महिलाओं की भागीदारी को इसका प्रतिफल कहा।
डीन वेटनरी डॉ सुशील प्रसाद ने बाबासाहेब जैसी महान विभूति का भारत देश में पैदा होना बड़े सौभाग्य का विषय बताया। डीन फॉरेस्ट्री डॉ एमएस मल्लिक ने भारत में समता मूलक समाज की स्थापना को आगे बढ़ाने में योगदान की चर्चा की। कुलसचिव डॉ नरेंद्र कुदादा ने खुशहाल भारत के निर्माण में बाबा साहेब के आदर्शो एवं मार्गदर्शन के अनुसरण पर बल दिया।
डायरेक्टर एक्सटेंशन डॉ जगरनाथ उरांव ने महानतम व्यक्तित्व का स्वामी बताया, जिन्होंने जीवनभर भारतीय समाज के उत्थान के लिए संघर्ष किया। रांची विश्वविद्यालय के छात्र प्रतिनिधि द्वारिका दास ने बाबा साहेब के विचारों को आगे बढ़ाने से भारतीय समाज के उत्थान एवं गतिशील होने की बात कही। डॉ अभिषेक कुमार ने डॉ अम्बेडकर के बौद्धिक ईमानदारी पर प्रकाश डाला।
मौके पर विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा डॉ अम्बेडकर की जीवनी पर भाषण प्रस्तुत किया गया। मनीष कुमार कुशवाहा ने डॉ अम्बेडकर को दलित समाज का महानम व्यक्तित्व बताया। साना आयसा ने भारतीय समाज के उत्थान में योगदान को याद करने का दिवस तथा साल्वी ऐशर्वया ने असाधारण व्यक्तित्व का महान विभूति बताया।
स्वागत भाषण में कार्यक्रम संयोजक डॉ सोहन राम ने डॉ अम्बेडकर के योगदान की चर्चा की। उन्होंने कहा कि डॉ अम्बेडकर ने देश में न्यायपालिका, कार्यपालिका एवं विधायिका को संविधान समर्पित कर भारत के प्रजातंत्र को मजबुती दी। समारोह का संचालन डॉ बसंत उरांव ने किया तथा धन्यवाद डॉ आरपी मांझी ने दी।
मौके पर डॉ डीके शाही, डॉ पीके सिंह, डॉ रमेश कुमार, प्रो डीके रूसिया, द्वारिका दास, संजय महली, सर्जित मिर्धा, सुरेन्द्र लिंडा, बिरसा उरांव, करण नारायण सहित बड़ी संख्या में शिक्षक एवं छात्र-छात्राएं मौजूद थे।
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