भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के अधिकारियों और आईसीएआर शासी निकाय के सदस्यों ने शनिवार को बिरसा कृषि विश्वविद्यालय का दौरा किया। उन्होंने विभिन्न प्रायोगिक फसलों का निरीक्षण किया। टीम में आईसीएआर के उप महानिदेशक (प्रसार) डॉ एके सिंह, सहायक महानिदेशक (पीआईएस) डॉ एके वशिष्ठ, भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान लुधियाना के निदेशक डॉ सुजय रक्षित, भारतीय लीची अनुसंधान संस्थान मुज्जफरपुर के निदेशक डॉ विशालनाथ और शासी निकाय के सदस्य सुधीर भार्गव, सुरेश चंदेल और अखिलेश कुमार शामिल थे।
बीएयू के कुलपति डॉ परविन्दर कौशल, अनुसंधान निदेशक डॉ डीएन सिंह, अनुवांशिकी एवं पौधा प्रजनन विभाग के अध्यक्ष डॉ जेडए हैदर और मृदा विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ डीके शाही ने अनुसंधान प्रयोगों के इतिहास, उद्देश्य एवं परिणामों की जानकारी दी। बताया कि स्थाई उर्वरक प्रयोग विश्वविद्यालय में वर्ष 1956 से चल रहा हैI प्रयोगों से निष्कर्ष निकला है कि अम्लीयता से प्रभावित राज्य की उपरी भूमि में प्रति हेक्टेयर 3-4 क्विंटल चूना का प्रयोग करने से उपज में लगभग 30 प्रतिशत तक की वृद्धि हो जाती है। गोबर का खाद प्रयोग करने से उपज में वृद्धि होने के साथ-साथ फसल का भंडारण ज्यादा दिनों तक सुरक्षित हो सकता है। गोबर के प्रयोग से मिट्टी के स्वास्थ्य में भी वृद्धि होती है।
टीम ने मृदा विभाग के मिट्टी जांच प्रयोगशाला और जैव उर्वरक इकाई का भ्रमण किया। विभिन्न उपकरणों का मुआयना कियाI विभागाध्यक्ष डॉ शाही ने बताया कि प्रति वर्ष 15,000 मृदा नमूनों की जांच का लक्ष्य निर्धारित है। पिछले पांच वर्षों में 52 लाख रुपये से अधिक के जैव उर्वरकों का उत्पादन और विक्रय विभाग द्वारा किया गया। टीम को दीर्घकालीन उर्वरक प्रयोग, सोयाबीन, स्माल मिलेट्स, मक्का, चावल, अरहर एवं मूलार्प (दलहन) सम्बन्धी अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजनाओं के प्रायोगिक फसलों का भी भ्रमण कराया गया।
मूंगफली की प्रायोगिक फसलों के भ्रमण के दौरान बीएयू के निदेशक अनुसंधान ने आईसीएआर शासी निकाय के सदस्यों से आग्रह किया कि मूंगफली सम्बन्धी आईसीएआर की अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना को बीएयू को पुन: स्वीकृत कराने की दिशा में प्रयास किया जाएI टीम मडुआ, गुंडली, कोदो और केवनी की फसलें देखकर काफी रोमांचित हुई। इन फसलों को प्रचारित-प्रसारित करने संबंधी प्रयासों की सराहना की।
आईसीएआर शासी निकाय के सदस्य, हमीरपुर (हिमाचल प्रदेश) के पूर्व सांसद और भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुरेश चंदेल ने दौरे के अंत में वैज्ञानिकों से कहा कि अनुसंधान के क्षेत्र में बीएयू गंभीरता से प्रयास कर रहा है। इससे किसानों की हालत सुधरेगीI जब किसान नये प्रयोगों के लाभों को प्रत्यक्ष देखेंगे, तब उनमें जोखिम उठाने और कुछ नया करने की प्रवृति बढ़ेगीI
Source: http://www.dainikjharkhand.com/jharkhand-news/ranchi/icar-team-acquainted-with-bau-research.html