कमजोर वर्गों के सशक्तिकरण और नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है डॉ कुरील ने
रांची I डॉ आर एस कुरील बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति बनाये गए हैं I इस सम्बन्ध में आज राजभवन सचिवालय द्वारा अधिसूचना जारी की गयी I राजभवन ने फरवरी, 2017 से कार्यरत बीएयू के कुलपति डॉ परविंदर कौशल का इस्तीफ़ा 8 जुलाई के प्रभाव से स्वीकार कर लिया I डॉ कौशल सोलन, हिमाचल प्रदेश स्थित डॉ वाई एस परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के कुलपति नियुक्त किये गए हैं I
बीएयू में निदेशक प्रसार शिक्षा के रूप में मार्च, 2019 से कार्यरत डॉ कुरील वर्ष 2010 से 2013 तक नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, अयोध्या तथा 2013 से 2017 तक डॉ भीम राव अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय, इंदौर के कुलपति रह चुके हैं I इस प्रकार कुलपति के रूप में यह इनका तीसरा कार्यकाल है I सितम्बर, 2017 से फरवरी, 2019 तक वे भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, दिल्ली में निदेशक के रूप में कार्यरत रहे I डॉ कुरील सस्य विज्ञान में एम एससी तथा उद्यान विज्ञान में पीएचडी हैं I इसके अलावा व्यवसाय प्रबंधन, कंप्यूटर साइंस एवं राजनीति विज्ञान में भी मास्टर डिग्री ले रखी है I
नयी शिक्षा नीति में डॉ कुरील का महत्वपूर्ण योगदान
डॉ कुरील भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा तैयार करने के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति के सदस्य भी रहे, जहाँ इनके योगदान की भूरी-भूरी सराहना श्री आर सुब्रह्मण्यम, उच्च शिक्षा सचिव, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार ने की I इन्होंने शिक्षा के वर्तमान परिदृश्य में बदलाव के लिए तथा आधुनिक ज्ञान से युक्त समाज की वैश्विक जरूरतों की पूर्ति हेतु युवाओं की फौज तैयार करने के लिए कई महत्वपूर्ण बिंदु नयी शिक्षा नीति के मसौदे में शामिल कराया हैI उन्होंने कहा कि वे शीघ्र ही राजभवन में महामहिम राज्यपाल महोदय के समक्ष नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बारे में एक प्रस्तुतीकरण देंगे I
कमजोर वर्गों के सशक्तिकरण के लिए समर्पित
भारत रत्न बाबा साहेब के सपनों और आदर्शों के अनुरूप अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़े वर्गों के सामजिक, शैक्षणिक एवं आर्थिक विकास तथा राष्ट्र निर्माण में उनकी सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए स्थापित डॉ भीम राव अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय, इंदौर देश का पहला सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय है जो पहले एक राष्ट्रीय संस्थान के रूप में कार्यरत था, जहाँ डॉ कुरील की प्रारंभिक नियुक्ति महानिदेशक के रूप में हुई थी I यहाँ का संस्थापक कुलपति रहते हुए डॉ कुरील ने मध्यप्रदेश के 22 जिलों में 1100 एकड़ में सामजिक विज्ञान केंद्र स्थापित किया जहाँ गृह विज्ञान, विधि, सामजिक विज्ञान, ग्रामीण विकास, कौशल विकास जैसे विषयों के वैज्ञानिकों का प्रावधान किया I इन केन्द्रों का उद्देश्य कमजोर वर्गों एवं महिलाओं पर अत्याचार रोकना तथा उनका क्षमता विकास एवं सशक्तिकरण है I सामाजिक-धार्मिक सद्भाव की स्थापना, नागरिक एवं मानव अधिकारों की रक्षा, पर्यावरण संरक्षण, कृषि विकास, जल एवं प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण तथा राष्ट्र निर्माण के प्रति वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास भी इन केन्द्रों का उद्देश्य है I
प्रभार ग्रहण करने के बाद कुलपति ने विश्वविद्यालय परिसर में बिरसा भगवान् की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया तथा कहा कि वे पूर्व कुलपति डॉ कौशल के अच्छे कार्यों को जारी रखेंगे, उसे और बढाने का प्रयास करेंगे तथा गुणवत्तापूर्ण उच्च कृषि शिक्षा गाँवों तथा दूरदराज इलाकों तक पहुंचाएंगे I I उन्होंने प्रबंध पार्षद कक्ष में विश्वविद्यालय के वरीय अधिकारियों के साथ बैठक की और सबों से मिलजुलकर विश्वविद्यालय को आगे बढाने की अपील की I